शुक्रवार, 1 मई 2015

राहू एक परिचय

                 यदि राहु देव आपकी कुंली में अच्छे फल देने वाले है तो उसके बारे में ---
मित्रों ज्यादातर हमने राहु के दुस्प्रभाव के बारे में ही सुना है लेकिन राहु कुंडली में सुबह फल देने वाले भी हो सकते है । राहु एक शरारती इंसान की तरह है और इंसान भी ऐसा जिसने देवताओं के साथ बैडकर अमृत पां किया । वह किस समय क्या कर दे किसी को नही पता । बुद्ध दुनियावी बुद्धि का कारक है लेकिन राहु हमारे मन में जन्म- जन्मांतरों की ikadi की हुई समझ का कारक है । किसी इंसान का जीनियस होना ,उसका कुछ इज़ाद करना सिर्फ राहु की मेहरबानी से तालुलक रखता है । ये हमारे दिमाक ने अचानक से किसी ख्याल के पैदा होने का कारक है । यही कारण है की राहु की ईस्ट देवी सरस्वती जी को मन जाता है जो बहुत गंभीर चिंतन की और चिंतन की गहराई की प्रतीक है । राहु का सभी प्र शक्तियों के ऊपर अधिकार है । ये शक्तियां इंट्यूशन , टेलीपथी
और आत्माओं को बुलाने वाली सब तरह की परा शक्तियां है ।
राहु अच्छा हो तो सपनो के माध्यम से घटना के होने का पहले ही आभास हो जाता है । जातक का बाप के समान कोई न कोई मददगार अवश्य होता है जब राहु 6 में हो । राहु यदि 11 में हो और 3 मे गुरु य शनि हो तो जातक को लोगों से पुजवा देता है । अचानक धन लाभ भी राहु देता है ।
जय श्री रामज्योतिष एक ऐसा माध्यम है, जिससे व्यक्ति के भविष्य, कर्म और स्वभाव को जाना जा सकता है। ज्योतिष विज्ञान पर काफी लोग आस्था रखते हैं। इस शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि, एक साथ शुभ स्थिति में एक ही भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को जीवन में कई सुखों की प्राप्ति होती है। यहां जानिए चंद्र और शनि की युति के क्या-क्या फल हो सकते हैं...
- जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि प्रथम भाव में हैं, वह व्यक्ति नौकरी करने वाला, लोभी, आलसी हो सकता है। ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह व्यक्ति जल से संबंधित कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति खनिज पदार्थ का व्यवसाय करते हैं।
- कुंडली में चंद्र और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति किसी मंत्री का प्रिय होता है, लेकिन ऐसे लोग स्त्रियों से कष्ट प्राप्त करने वाला हो सकते हैं।
- चंद्र और शनि, किसी व्यक्ति की कुंडली के दशम भाव में हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, सुविख्यात और राजा के समान सुख प्राप्त करने वाला होता है।
यहां सिर्फ शनि और चंद्र की युति का फल बताया गया है। अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर शनि-चंद्र के फल बदल भी सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कुंडली में अन्य सभी ग्रहों की स्थिति भी विचारणीय रहती है।
शनि-चंद्र के इन बुरे प्रभाव से बचने के उपाय...
- चंद्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
- शनि की वस्तुएं दान करें।
- दान या उपहार में चंद्र या शनि से संबंधित वस्तुएं कभी ना लें।
- हनुमानजी का पूजन करें। प्रति मंगलवार और शनिवार को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।

- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।//
                               (राहू) एक परिचय,क्या करें इसकी अशुभता दूर करने के लिए
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राहू ग्रह को निर्धनों का सहायक तथा यमराज का दरबार कहा जाता है.यह एक छाया ग्रह है. इसमें शनि जैसे गुण पाए जाते हें. जिस प्रकार राहू, सूर्य एवं चन्द्र को ग्रसता है. उसी प्रकार जातक पर इसका प्रभाव अचानक चोट, दुर्घटना, दिमागी बीमारियाँ, व् बुखार,आदि के रूप में होता है.
राहू की देवता सरस्वती है.अत इसका रंग नीला है.जातक के मस्तिस्क में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां पैदा कर मानसिक स्थिति को उद्वेलित करना, शत्रुओं से घिराना एवं नेक समय में बचाव करना, इसका प्रमुख कार्य है..
१= नीच राहू वाले व्यक्ति नीले व् काले वस्त्र न पहने.
२= जेब में सदा चांदी का चोकोर पतरा डालकर रखें.
३= भोजन रसोई में बैठकर करें.
४= बहते दरिया में श्रीफल प्रवाहित करें.
५= खोटा सिक्का जल में प्रवाहित करें.
६= गो-मूत्र से दांत साफ़ करें.
७= राहू की अशुभता दूर करने के लिए जो को दूध से धोकर बहते पानी में प्रवाहित करें..
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शुभम भवतु कल्याणं................. राहु रहनुमा मुसाफिर

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