==============रुद्राक्ष से स्वास्थ्य
लाभ======================
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रुद्राक्ष स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना
गया है. आयुर्वेद में रुद्राक्ष को महान औषधि संजीवनि कहा है. रुद्राक्ष स्वास्थ्य
लाभ के लिए अनेक प्रकार से उपयोग किया जा सकता है. त्रिदोषों से मुक्ति हेतु |
वात, पित्त और कफ त्रिदोष हैं इनका असंतुलन
स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. अत: शरीर में इनका संतुलन बेहद आवश्यक है. इसलिए
इन दोषों से मुक्ति हेतु रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है. त्रिदोषों के शमन के लिए
रुद्राक्ष का उपयोग बेहद लाभदायक है. रुद्राक्ष को घीस कर पीने से कफ से उत्पन्न रोगों
का शमन होता है.
रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक |
रुद्राक्ष के रक्तचाप को सामान्य बनाने के लिए
भी बहुत लाभदायक होता है. इसमे इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फिल्ड होने के कारण यह शरीर
में रक्तका संचार व्यवस्थित करता है. मान्यता है कि इसे धारण करने से मन को शांति
मिलती है क्योंकि यह शरीर की गर्मी को अपने में खींचकर उसे बाहर कर देता है.
दोमुखी रुद्राक्ष की भस्म को स्वर्णमाच्छिक भस्म के साथ बराबर मात्रा में एक रत्ती
सुबह-शाम हाई ब्लडप्रेशर के रोगी को दूध के साथ सेवन कराई जाए तो यह फ़ायदेमंद
होती है.
हृदय रोगों से बचाव के लिए |
रुद्राक्ष द्वारा आप रक्त चाप को सामान्य रख
सकते हैं तथा ह्रदय संबंधि रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. रुद्राक्ष को कंठ
में इस प्रकार धारण करें कि उसका स्पर्श आपके हृदय स्थल का स्पर्श कर सके. इसके
अलावा कृतिका नक्षत्र समय या रविवार के दिन पांच मुखी रुद्राक्ष को तांबे के कलश
में जल भरकर डाल दें तथा अगले दिन खाली पेट इस जल का सेवन करें ऐसा नियमित रुप से
करते रहें इससे हृदय संबंधी समस्याओं से निजात प्राप्त होगा.=================
खसरा (मिजल्स) से बचाव हेतु | Rudraksha
protects from Measles
रुद्राक्ष का उपयोग चेचक की बिमारी के लिए भी
किया जाता है. खसरा होने पर रुद्राक्ष घिसकर चाटने से आराम मिलता है.
स्मरण शक्ति को तेज करता है | Rudraksha
helps to increase the memory power
रुद्राक्ष स्मरण शक्ति को तेज करता है तथा
यादाशत मजबूत बनाता है. चार मुखी रुद्रा़ का उपयोग करने से मंद बुद्धि, क्षीण
स्मरण शक्ति एवं कमजोर वाक शक्ति मजबूत होती है.
चर्म रोगों को दूर करे | Rudraksha to
remove skin diseases
रुद्राक्ष के कुछ दाने ताँबे के बर्तन में पानी
डालकर भिगोकर यह रुद्राक्ष जल सुबह खाली पेट ग्रहण करने से विभिन्न चर्म रोगों से
मुक्ति मिलती है. तीन मुखी रुद्राक्ष को घिस कर इसका लेप नाभि पर लगाने से धातु
रोग दूर होता है. इसके अतिरिक्त नौ मुखी रुद्राक्ष की भस्म को तुलसी के पत्तों के
साथ मिलाकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है.
रुद्राक्ष को नीम के पत्तों के साथ मिलाकर
चूर्ण बना लें इस चूर्ण को लेप की तरह खुजली वाले स्थान पर लगाएँ फायदा होगा.
त्वचा में कांति एवं निखार लाने हेतु भी
रुद्राक्ष बहुत फ़ायदेमंद होता है. रुद्राक्ष को चंदन में पिस कर उबटन की तरह
चेहरे पर लगाने से चेहरा मुलायम एवं निखार से भर जाता है. इस उबटन को पूरे शरीर पर
लगाने से तन की दुर्गंध भी दूर हो जाती है. इसके अलावा रुद्राक्ष को बादाम और
गुलाब जल के साथ मिलाकर भी उबटन रुप में उपयुक्त किया जा सकता है.
शरीर के दर्द को दूर करता है |
Rudraksha gives relief from body pains
शरीर में होने वाले दर्दों जैसे गठिया की
समस्या या जोडों का दर्द या फिर शरीर में किसी अंग पर सूजन आ जाने पर रुद्राक्ष
द्वारा उपचार करने से बहुत लाभ मिलता है. रुद्राक्ष को पीस कर उसे सरसों के तेल के
साथ मिलाकर मालिश करने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है.
सर्दी जुकाम और खांसी को दूर करता है |
Rudraksha helsp to treat cold and cough
रुद्राक्ष को तुलसी के साथ मिलाकर चूर्ण की तरह
बना लें और इस चूर्ण को शहद के साथ नियमित रुप से खाली पेट सेवन करें लाभ होगा.
तनाव दूर करने में सहायक | Rudrakshs
helps to reduce stress
रुद्राक्ष को को गाय के दूध में उबालकर पीने
से. मानसिक रोग दूर होते हैं तथा शांति प्राप्त होती है. रुद्राक्ष को चंदन में
मिलाकर इसका लेप मस्तिष्क पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलती है तथा स्नायु रोग
दूर होते हैं.
रुद्राक्ष के अन्य उपचार | Rudraksha
and other treatments
रुद्राक्ष स्त्री संबंधी रोग, त्वचा
रोग तथा उदर संबंधी रोगों, गुर्दा, फेफड़े एवं पाचन
क्रिया से संबंधी विकारों, मानसिक रोग, पक्षाघात,
पीत,
ज्वर,
दमा-श्वास,
यौन
विकार आदि रोगों में शांति के लिलाभदायक होता है. मंदबुद्धि बच्चों के लिए तथा
जिनकी वाक् शक्ति कमजोर हो उनके लिए चमत्कारी है. यह मधुमेह, नेत्र
रोग, दृष्टि दोष, लकवा, अस्थिदुर्बलता
तथा मिरगी आदि रोगों के शमन के लिए फायदेमंद है. हिस्टीरिया, अपस्मार
दमा, गठिया, जलोदर, मंदाग्नि, कुष्ठ रोग,
हैजा,
अतिसार,
में
बहुत लाभदायक है. रुद्राक्ष रोगों से लड़ने में कवच का कार्य करते है, इसे
धारण करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं.
रूद्राक्ष
(एक अदभुत शक्ति)के प्रकार............................
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रूद्राक्ष पर पड़ी धारियों के आधार पर ही इनके
मुखों की गणना की जाती है. रूद्राक्ष एकमुखी से लेकर सत्ताईस मुखी तक पाए जाते हैं
जिनके अलग-अलग महत्व व उपयोगिता हैं. 1-एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है. इस 1 मुखी रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष
की प्राप्ति होती है. तथा भगवान आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है.
2-दो
मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना जाता है इस
अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा सी शीतलता प्रदान होती है
3-तीन
मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप मान अगया है. 3 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से
ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों का शमन होता है.
4-चार
मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है. इसे धारन करने से नर हत्या जैसा जघन्य पाप
समाप्त होता है. चतुर्थ मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष को प्रदान करता है.
5-पांच
मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है. यह पंच ब्रह्म एवं पंच
तत्वों का प्रतीक भी है. 5
मुखी को धारण करने से अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती
है. तथा सुखों को प्राप्ति होती है.
6-छह
मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है. इसे शत्रुंजय
रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा एवं संतान
देने वाला होता है.
7-सात
मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है. इस 7 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से
महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
8-आठ
मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है. अष्टमुखी रुद्राक्षराहु
के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का क्षय करके मोक्ष देता है.
9-नौ
मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है. इसे बाईं भुजा में धारण करने से
गर्भहत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है. नवम मुखी रुद्राक्ष को यम का रूप भी कहते
हैं. यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है.
10-दस
मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है. 10 मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य
प्रदान करने वाला होता है.
इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं.
11-एकादश
मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है. 11 मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का
प्रतीक माना गया है इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है.
12-द्वादश
मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता है. इस बारह मुखी
रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह फल प्रदान करता है.
13-तेरह
मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है इसे धारण करने पर व्यक्ति को
समस्त सुखों की प्राप्ति होती है.
14-चौदह
मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है. इसे सिर पर धारण करने से व्यक्ति परमपद
को पाता है.
15-पंद्रह
मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है. यह संपूर्ण पापों को नष्ट करने
वाला होता है.
16-सोलह
मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है. यह रोगों से मुक्ति एवं भय
को समाप्त करता है.
17-सत्रह
मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है यह रुद्राक्ष विश्वकर्माजी का
प्रतीक भी है इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को
जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है.
18-अठारह
मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया है. इसे धारण करने से
अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.
19-उन्नीस
मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह सुख एवं समृद्धि दायक होता
है.
20-बीस
मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है. इस बीस मुखी रुद्राक्ष को धारण
करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं सताता.
21-इक्कीस
मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास है. इसे धारण करने
से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता है.
गौरी शंकर रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष प्राकृतिक
रुप से जुडा़ होता है शिव व शक्ति का स्वरूप माना गया है. इस रुद्राक्ष को
सर्वसिद्धिदायक एवं मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है. गौरी शंकर रुद्राक्ष
दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति लाता है.
गणेश रुद्राक्ष - इस रुद्राक्ष को भगवान गणेश
जी का स्वरुप माना जाता है. इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है.
यह रुद्राक्ष विद्या प्रदान करने में लाभकारी है विद्यार्थियों के लिए यह
रुद्राक्ष बहुत लाभदायक है.
गौरीपाठ रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष त्रिदेवों का
स्वरूप है. इस रुद्राक्ष द्वारा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है.
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