प्राचीन विश्व में सनातन हिन्दू धर्म को छोड़ कर
कोई दूसरा धर्म नहीं था। विश्व के सभी मानव सनातन हिन्दू धर्म के अनुयायी थे।
प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों का उल्लेख ईसा पूर्व छठी शताब्दी से भी पहले का
है। ये महाजनपद थे-
मद्र- यह महाभारत कालीन एक शक्तिशाली जनपद था।
राजा शल्य इसके शासक थे।
कुरु- मेरठ और थानेश्वर; राजधानी
इन्द्रप्रस्थ।
पांचाल- बरेली, बदायूं और
फर्रूखाबाद; राजधानी अहिच्छत्र तथा काम्पिल्य।
शूरसेन- मथुरा के आसपास का क्षेत्र; राजधानी
मथुरा।
वत्स – इलाहाबाद और उसके आसपास; राजधानी
कौशांबी।
कोशल - अवध; राजधानी साकेत
और श्रावस्ती।
मल्ल – ज़िला देवरिया; राजधानी कुशीनगर
और पावा (आधुनिक पडरौना)
काशी- वाराणसी; राजधानी
वाराणसी।
अंग - भागलपुर; राजधानी चंपा।
मगध – दक्षिण बिहार, राजधानी
गिरिव्रज (आधुनिक राजगृह)।
वज्जि – ज़िला दरभंगा और
मुजफ्फरपुर; राजधानी मिथिला, जनकपुरी और
वैशाली।
चेदि - बुंदेलखंड; राजधानी
शुक्तिमती (वर्तमान बांदा के पास)।
मत्स्य - जयपुर; राजधानी विराट
नगर।
अश्मक – गोदावरी घाटी;
राजधानी
पांडन्य।
अवंति - मालवा; राजधानी
उज्जयिनी।
गांधार- पाकिस्तान स्थित पश्चिमोत्तर क्षेत्र;
राजधानी
तक्षशिला।
कंबोज – आधुनिक
अफ़ग़ानिस्तान; राजधानी राजापुर। यह महाभारत काल मे एक मुख्य
जनपद था। यह अच्छे घोड़े, मवेशी पशुओ व उनकी काल आदि के लिए
प्रसिद्ध था, यह पाकिस्तान के आगे पर्वतीय क्षेत्रो मे
स्थापित था।
दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब,
पख्तू,
कम्बोज,
गान्धार,
कैकय,
वाल्हीक
बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु,
तृसु,
खांडव,
सौवीर
सौराष्ट्र, शल्य, कुरु, पांचाल, कोसल,
शूरसेन,
किरात,
निषाद,
मत्स,
चेदि,
उशीनर,
वत्स,
कौशाम्बी,
विदेही,
अंग,
प्राग्ज्योतिष
(असम), घंग, मालवा, अश्मक, कलिंग, कर्णाटक,
द्रविड़,
चोल,
शिवि
शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध का निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र
सुरभिपट्टन मैसूर, आंध्र तथा सिंहल सहित लगभग 200
जनपद महाभारत में वर्णित हैं। इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के
युद्ध में भाग लिया था।
इनमें से आभीर अहीर, तंवर, कंबोज,
यवन,
शिना,
काक,
पणि,
चुलूक
चालुक्य, सरोस्ट सरोटे, कक्कड़, खोखर, चिन्धा
चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र,
ओड्र,
मालव,
क्षुद्रक,
योधेय
जोहिया, निषाद, शूर, तक्षक व लोहड़ आदि आर्य धर्म का पालन
करने वाले लोगों ने भाग लिया था। बाद में महाभारत के अनुसार भारत को मुख्यत: 16
जनपदों में स्थापित किया गया। जैन 'हरिवंश पुराण' में प्राचीन
भारत में 18 महाराज्य थे। पालि साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ
'अंगुत्तरनिकाय' में भगवान बुद्ध से पहले 16
महाजनपदों का नामोल्लेख मिलता है। इन 16 जनपदों में से एक जनपद का नाम कंबोज
था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार कंबोज जनपद सम्राट अशोक महान का सीमावर्ती प्रांत था।
भारतीय जनपदों में राज्याणि, दोरज्जाणि और गणरायाणि शासन था अर्थात
राजा का, दो राजाओं का और जनता का शासन था।
*राम के काल 5114 ईसा पूर्व में
नौ प्रमुख महाजनपद थे जिसके अंतर्गत उप जनपद होते थे। ये नौ इस प्रकार हैं- 1.मगध,
2.अंग
(बिहार), 3.अवन्ति (उज्जैन), 4.अनूप (नर्मदा तट
पर महिष्मती), 5.सूरसेन (मथुरा), 6.धनीप (राजस्थान),
7.पांडय
(तमिल), 8. विन्ध्य (मध्यप्रदेश) और 9.मलय
(मलावार)।
*16 महाजनपदों के नाम : 1. कुरु, 2.
पंचाल,
3. शूरसेन,
4. वत्स,
5. कोशल,
6. मल्ल,
7. काशी,
8. अंग,
9. मगध,
10. वृज्जि,
11. चेदि,
12. मत्स्य,
13. अश्मक,
14. अवंति,
15. गांधार
और 16. कंबोज। उक्त 16 महाजनपदों के अंतर्गत छोटे जनपद भी
होते थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें