! ब्राह्मण शब्द ब्रह्म से बना है। जो ब्रह्म
(ईश्वर) को छोड़कर अन्य किसी को नहीं पूजता, वह ब्राह्मण कहा
गया है। जो पुरोहिताई करके अपनी जीविका चलाता है, वह ब्राह्मण
नहीं, याचक है। जो ज्योतिषी या नक्षत्र विद्या से अपनी जीविका चलाता है वह
ब्राह्मण नहीं, ज्योतिषी है। पंडित तो किसी विषय के विशेषज्ञ
को कहते हैं और जो कथा बांचता है वह ब्राह्मण नहीं कथावाचक है। इस तरह वेद और
ब्रह्म को छोड़कर जो कुछ भी कर्म करता है वह ब्राह्मण नहीं है। जिसके मुख से
ब्रह्म शब्द का उच्चारण नहीं होता रहता, वह ब्राह्मण नहीं।
स्मृति पुराणों में ब्राह्मण के 8
भेदों का वर्णन मिलता है- मात्र, ब्राह्मण, श्रोत्रिय,
अनुचान,
भ्रूण,
ऋषिकल्प,
ऋषि
और मुनि। 8 प्रकार के ब्राह्मण श्रुति में पहले बताए गए हैं। इसके अलावा वंश,
विद्या
और सदाचार से ऊंचे उठे हुए ब्राह्मण ‘त्रिशुक्ल’ कहलाते हैं।
ब्राह्मण को धर्मज्ञ विप्र और द्विज भी कहा जाता है।
शनकैस्तु क्रियालोपदिनाः क्षत्रिय जातयः।
वृषलत्वं गता लोके ब्राह्मणा दर्शनेन च॥
पौण्ड्रकाशचौण्ड्रद्रविडाः काम्बोजाः भवनाः
शकाः ।
पारदाः पहल्वाश्चीनाः किरताः दरदाः खशाः॥
-मनुसंहिता (1-/43-44)
अर्थात ब्राह्मणत्व की उपलब्धि को प्राप्त न होने के कारण उस क्रिया का लोप होने से पोण्ड्र, चौण्ड्र, द्रविड़ काम्बोज, भवन, शक, पारद, पहल्व, चीनी किरात, दरद व खश ये सभी क्षत्रिय जातियां धीरे-धीरे शूद्रत्व को प्राप्त हो गईं। ज्योतिष विद्या देव वाणी है न की टाइम पास हर समय सभी ज्योतिषी से बार बार भविष्य
जानने के चक्कर में कही किशी ज्योतिष अगर गलत
वाणी निकल गयी तो उसका भी फल आपको भुगतना होगा सभी सावधानी से केवल राशी
परिवर्तन या विशेष जीवन में अनुभव होने पर ही ज्योतिष का सहारा ले
बाकि हरि इक्छा मन में भजन सद्कर्म करते हुए जीवन यापन करो ।
,देसी गाय का महत्त्व
,देसी गाय का महत्त्व
1) देसी गाय को जो चरने के लिए गोचर भुमी छोडता
है उसे अश्वमेध प्राप्त होता है I
2) ज्यादा गरमी और कठोर स्थीती में रहेने की
क्षमता देसी गाय में है I
3) गौ सर्व देवमयी और तीर्थमयी है I
4) गौ दर्शन से समस्त तीर्थो का पुण्य प्राप्त
होता है I
5) गौ के रोम-रोम से सात्वीक विकीरण विसरीत
होता है I
पंचगव्य का उपयोग
1) चेहरेपर दाग – धब्बे हो तो दही, बेसन, लिंबू का रस मिलाकर चेहरेपर लगायें I
2) देसी गाय का मक्खन सेवन करने से आँखों के
रोग नहीं होते I
3) देसी गाय के गोबर के कोयले से बने गोमय
दंतमंजन से दिन में से तीन बार दांत साफ करने से दांतो की बिमारी नहीं होती I
4) कंबर दर्द होनेपर देसी गाय के गोमूत्र से मालीश
करें आराम मिलेगा I
5) देसी गाय के दुध में नस-नाडी साफ करने की
अपार शक्ती है I
1) दमा होनेपर लसण में त्रीफला चूर्ण मिलाकर
सेवन करें आराम मिलेगा I
2) लिंबू और तुलसी के पान का रस मिलाकर दराद पर
मलने से आराम मिलता है I
3) प्याज का रस में शहद मिलाकर आँखों में लगाने
से आँखों की शक्ती बढ़ती है I
4) मोसंबी चाबकर खाने से दात मजबूत रहेते है I
5) मोगरे के तेल से फोडे – फुंन्सी, जखम जल्दी ठिक होते है I
1) दांत साफ करने के लिए निंब का दातुन करें I
2) गर्मी में निंब या बबुल का दांतुन करें I
3) सर्दी में अमरुद के पेड़ का दांतुन करें I
4) बारीश के दिन में आम या अर्जुन का दातुन
करें I
5) गाय के गोबर को सुखाकर
जलाये उसके राख में कपूर और सेंधा नमक मिलाकर दंत मंजन बनायें एवं दांत घस सकते है
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