अंधों को दर्पण क्या देना,बहरों
को भजन सुनाना क्या,
जो रक्त पान करते उनको,गंगा का नीर
पिलाना क्या,
हमने जिनको दो आँखे दीं, वो हमको आँख
दिखा बैठे,
हम शांति यज्ञ में लगे रहे,वो
श्वेत कबूतर खा बैठे,
वो छल पे छल करता आया,हम अड़े रहे
विश्वासों पर,
कितने समझौते थोप दिए,हमने बेटों की
लाशों पर,
अब लाशें भी यह बोल उठीं,मत अंतर्मन पर
घात करो,
दुश्मन जो भाषा समझ सके,अब उस भाषा में
बात करो,
वो झाडी है,हम बरगद हैं,
वो
है बबूल हम चन्दन हैं,
वो है जमात गीदड़ वाली,हम सिंहों का
अभिनन्दन हैं,
ऐ पाक तुम्हारी धमकी से,यह धरा नही डरने
वाली,
यह अमर सनातन माटी है,ये कभी नही मरने
वाली,
हम उन कबायली बकरों की गर्दन हाथों से पकडे थे,
तुम भूल गए सन पैसठ को,तुमने पंगा कर
डाला था,
छोटे से लाल बहादुर ने तुमको नंगा कर डाला था,
तुम भूले सन इकहत्तर को,जब तुम ढाका पर
ऐंठे थे,
नब्बे हजार पाकिस्तानी,घुटनो के बल पर
बैठे थे,
इस्लामाबादी गुंडों को जब याद दिलाई नानी थी,
तुम सारी दुर्गति भूल गए,फिर से बवाल कर
बैठे हो,
है उत्तर खुद के पास नही हमसे सवाल कर बैठे हो,
बिगड़ैल किसी बच्चे जैसे आलाप तुम्हारे लगते
हैं,
तुम भूल गए हो रिश्ते में हम बाप तुम्हारे लगते
हैं,
बेटा पिटने का आदी है,बेटा पक्का
जेहादी है,
शायद बेटे की किस्मत में,बर्बादी
हीबर्बादी है,
तेरी बर्बादी में खुद को,बर्बाद नही होने
देंगे,
हम भारत माँ के सीने पर जेहाद नही होने देंगे,
तू रख हथियार उधारी के,हम अपने दम से
लड़ लेंगे,
गर एटम बम से लड़ना हो तो एटम बम से लड़ लेंगे,
जब तक तू बटन दबायेगा,हम पृथ्वी नाग
चला देंगे,
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