हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!
अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो!

🌷"परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !



सुन्दरता कश्मीर की तुम में, सिक्किम जैसा शर्माती !!
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खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !



केरल जैसी आंख तुम्हारी, है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!



महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !



खुशबू हो तुम कर्नाटक की, बल तो तेरा हरियाणा !!



सीधी-सादी उड़ीसा जैसी, एम.पी. जैसा मुस्काना !



दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी, त्रिपुरा जैसा इठलाना !!



झारखंड तुम्हारा आभूषण, तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !



सीना तुम्हारा यू.पी है तो, हिमाचल तुम्हारी निन्दिया है !!



कानों का कुंडल छत्तीसगढ़, तो मिज़ोरम तुम्हारी पायल है




बिहार गले का हार तुम्हारा,
तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!



नागालैंड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे,
तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणाचल है !
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नाम तुम्हारा भारत माता,
तो पवित्र तुम्हारा उत्तरांचल है !!
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सागर है परिधान तुम्हारा,
तिल जैसे है दमन-द्वीव !
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मोहित हो जाता है सारा जग,
रहती हो तुम कितनी सजीव !!
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अंडमान और निकोबार द्वीप,
पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
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झिल-मिल, झिल-मिल से लक्षद्वीप,



नाम तुम्हारा भारत माता,
तो पवित्र तुम्हारा उत्तरांचल है !!



सागर है परिधान तुम्हारा,
तिल जैसे है दमन-द्वीव !



मोहित हो जाता है सारा जग,
रहती हो तुम कितनी सजीव !!



अंडमान और निकोबार द्वीप,
पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !



झिल-मिल, झिल-मिल से लक्षद्वीप,
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