*मान* मिले *सम्मान* मिले,
*सुख - संपत्ति* का *वरदान* मिले.
*क़दम-क़दम* पर मिले *सफलता*,
*सदियों* तक पहचान मिले।
आर्थिक सम्पन्नता हेतु नित्य उपयोगी स्वर्णिम सूत्र
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कुछ टोटके ,बातें या आदतें ऐसे भी होते हैं जिनका हम यदि नित्य प्रति प्रयोग
करें तो अनायास ही हमें शान्ति ,सुख-समृद्धि
,वैभव ,विलासिता मान-सम्मान और अन्य अनेक
प्रकार के सुखों की प्राप्ति होने लगता है |इन नित्य उपयोगी बातों को अपनाने के लिए आपको किसी भी रूप में
गंडे-ताबीज अथवा तंत्र -मंत्र -यन्त्र का सहारा लेने की कत्तई आवश्यकता नहीं है |आपको तो बस इन स्वर्णिम सूत्रों को अपनी
दिनचर्या में शामिल कर लेना है और फिर इन्हें आदत बना लेना है |
१. प्रातः काल सोकर उठने के पश्चात ,सर्वप्रथम अपने दोनों हाथों की
हथेलियों को कुछ देर तक देखें ,उन्हें
चूमे तथा अपने चेहरे पर तीन-चार बार फेरें |
२. घर के मुख्या द्वार के ऊपर अन्दर तथा बाहर
दोनों ही तरफ श्री गणेश जी की मूर्ती या फोटो लगायें तथा प्रतिदिन उन्हें दूर्वा
अर्पित करें |
३. सुबह सोकर उठने के बाद नाक के छिद्रों पर
एकाग्र हो जानने का प्रयास करें की कौन से नाक से अधिक सांस अन्दर बाहर हो रही है |जिस नाक से अधिक सांस चल रही हो उसी
तरफ के पैर को पहले जमीन पर रखें |
४. स्नान करने के बाद "ॐ घ्रिणी सूर्याय
आदित्याय ॐ कहते हुए ताम्बे की लुटिया में जल भरकर सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित
करें |तत्पश्चात ही
कोई पूजा उपासना करें |अर्ध्य
देते समय ध्यान दें की अर्ध्य का जल आपके पैरों पर न गिरे |नदी स्नान कर रहे हों तो कमर तक जल में
अंजुली से ही अर्ध्य दें |
५. घर के पूजा स्थल में सदैव एकाक्षी नारियल
रखें |
६. नियमित रूप से हनुमान चालीसा ,हनुमान बाहुक ,हनुमान अष्टक आदि का पाठ करें |
७. बंदरों को चने अथवा फल खिलाएं |इससे हनुमान कृपा प्राप्त होती है |
८. ऋण लेने से सदा बचें ,कर्म और श्रम प्रधान बनें ,सदैव आशावादी रहें |
९. कार्यालय ,दूकान ,शो
रूम इत्यादि खोलते समय सर्व प्रथम अपने ईष्टदेव का स्मरण अवश्य किया करें |
१०. बड़ों तथा सत्पुरुषों का सम्मान करें तथा
उनको प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद लेने से सुख -समृद्धि और सफलता मिलती है |
११. शुभ कार्य हेतु अथवा धन सम्बन्धी या
व्यापार कार्य हेतु बाहर निकलने से पूर्व कुछ न कुछ मीठा अथवा दही -शक्कर खाकर ही
घर से निकलें ,सफलता
बढ़ जायेगी |
१२. श्वेत वस्तुओं का दान करने से महालक्ष्मी
की प्रसन्नता होती है ,किन्तु
यह दान सुपात्र को ही दें |
१३. सूर्य देव को प्रसन्न करने हेतु उन्हें
नियमित रूप से नित्य प्रति लाल पुष्प ,लाल चन्दन ,गोरोचन
,केशर ,जावित्री ,जौ अथवा तिल युक्त जल अर्पित करें |
घर के पूजा मंदिर से सम्बंधित सावधानियां और नियम
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* देवालय
मंदिर या गुंबद के आकार का न बनाकर ऊपर से चपटा बनवाएँ।
* देवालय
जहाँ तक हो सके ईशान कोण में रखें। यदि ईशान न मिले तो पूर्व या पश्चिम में
स्थापित करें।
* देवालय
में कुल देवता, देवी, अन्नपूर्णा, गणपति, श्रीयंत्र आदि की स्थापना करें।
* तीर्थ
स्थानों से खरीदी मूर्तियों को देवालय में न रखें। पारंपरिक मूर्तियों की ही पूजा
करें।
* आसन
बिछाकर मूर्तियाँ रखें। पूजा करते समय आप भी आसन पर बैठकर पूजा करें।
* मूर्तियाँ
किसी भी हालत में चार इंच से अधिक लंबी न हों।
* नाचते
गणपति, तांडव करते शिव, वध करती कालिका आदि की मूर्तियाँ या
तस्वीरें न रखें।
* महादेव
के लिंग के रूप की आराधना करें,
मूर्ति न रखें।
* पूजा
करते समय मुख उत्तर या पूर्व की ओर रखें।
* दीपक
आग्नेय कोण में (देवालय के) ही जलाएँ। पानी उत्तर में रखें।
* पूजा
में शंख-घंटे का प्रयोग अवश्य करें।
* निर्माल्य-पुष्प-नारियल
आदि पूजा के पश्चात विसर्जित करें,
घर में न रखें।
* पूजा
के पवित्र जल को घर के हर कोने में छिड़कें।
* मीठी
वस्तुओं का भोग लगाएँ।
* खंडित मूर्तियों का विसर्जन कर दें। विसर्जन से पहले
उन्हें भोग अवश्य लगाएँ।...........................
वर्ष का सर्वोत्तम मुहूर्त
=======================रविवार को रविपुष्य योग है ।इस दिन को तंत्र में सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त का स्थान
प्राप्त है ।वर्ष का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन यह तांत्रिक साधनाओं ,क्रियाओं ,प्राण प्रतिष्ठा ,अभिमंत्रण ,यंत्रादि निर्माण की दृष्टि से होता है
।गुरु पुष्य मांत्रिक क्रियाओं और रविपुष्य तांत्रिक क्रियाओं के लिए वर्ष में
सर्वश्रेष्ठ और अमूल्य होता है ।चूंकि सभी हिन्दू किसी न किसी रूप में तंत्र के
देवी देवताओं को पूजते ही हैं भले उन्हें खुद इनका ज्ञान न हो ,जैसे दुर्गा ,काली ,गणेश ,शिव
,भैरव ,आदि तो सभी को इस रविपुष्य योग के दिन
निश्चित रूप से अधिकतम पूजन और मन्त्र जप अवश्य करना चाहिए ।जिन्हें मन्त्र
प्राप्त हैं वह मन्त्रों का जप करें ,जिन्हें तंत्र का ज्ञान है तंत्र सिद्धि प्रतिष्ठा करें ।
हम तो पिछले 15 दिनों से
इस मुहूर्त के लिए तांत्रिक सामग्रियां ,दुर्लभ जड़ी बूटियां ,तांत्रिक पदार्थ इकट्ठा कर रहे थे ,फिर याद आया की सामान्य
लोगों और साधकों को भी इसकी जानकारी दे दी जाए ,ताकि वह भी लाभ उठा सकें ,हो सकता है बहुतों को याद न हो ।अतः सभी लोग चाहे वह सामान्य हों अथवा साधक इस
मुहूर्त का लाभ उठायें और खुद के लिए उपयोगी मन्त्र तंत्र की क्रिया अथवा जप कर
अपने जीवन में खुशियां लाएं शक्ति प्राप्त करें ।,,,,धन्यवाद
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