महाकाली
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री और स्वधा- इन नामोंसे प्रसिद्ध जगदंबे। आपको मेरा नमस्कार है।
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महालक्ष्मी
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शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते || ||
हे महामाया ! हे श्रीपीठकी मुख्य अधिष्ठात्री ! देवोंद्वारा पूजित, शंख चक्र गदा हस्तमें धारणकी हुई हे महालक्ष्मी, तुझे नमस्कार है !
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महासरस्वती
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं |
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् ||
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् |
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
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=========गुप्त नवरात्रि आज से, इन 9 दिनों में मिलती हैं ‘गुप्त’ सिद्धिया
हिंदू धर्म के अनुसार, एक साल में चार नवरात्रि होती है, लेकिन आम लोग केवल दो नवरात्रि (चैत्र
व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। इनके अलावा आषाढ़ तथा माघ मास में भी
नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे
गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़
शुक्ल प्रतिपदा (5
जुलाई, मंगलवार) से
होगा, जो आषाढ़ शुक्ल
नवमी (13 जुलाई, बुधवार) को समाप्त होगी।
क्यों विशेष है ये नवरात्रि?
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति
से उपासना की जाती है। यह समय शाक्त (महाकाली की पूजा करने वाले) एवं शैव ( भगवान
शिव की पूजा करने वाले) धर्मावलंबियों के लिए पैशाचिक, वामाचारी क्रियाओं के लिए अधिक शुभ एवं
उपयुक्त होता है। इसमें प्रलय एवं संहार के देवता महाकाल एवं महाकाली की पूजा की
जाती है।
इस गुप्त नवरात्रि में संहारकर्ता देवी-देवताओं
के गणों एवं गणिकाओं अर्थात भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी, शाकिनी, खण्डगी, शूलनी, शववाहनी, शवरूढ़ा
आदि की साधना की जाती है। ऐसी साधनाएं शाक्त मतानुसार शीघ्र ही सफल होती हैं।
दक्षिणी साधना, योगिनी
साधना, भैरवी साधना के
साथ पंच मकार (मद्य (शराब), मछली, मुद्रा, मैथुन, मांस)
की साधना भी इसी नवरात्रि में की जाती है।
साल में कब-कब आती है नवरात्रि, जानिए
हिंदू धर्म के अनुसार, एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है।
वर्ष के प्रथम मास अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे माह आषाढ़ में
दूसरी नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में प्रमुख नवरात्रि होती है। इसी
प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात माघ में भी गुप्त नवरात्रि मनाने का उल्लेख
एवं विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
अश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती
है। इस दौरान गरबों के माध्यम से माता की आराधना की जाती है। दूसरी प्रमुख
नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इन दोनों नवरात्रियों को क्रमश: शारदीय व वासंती
नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है।
इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती। इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते
हैं। गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय है। साधक इन दोनों
गुप्त नवरात्रि मंव विशेष साधना करते हैं और चमत्कारी शक्तियां प्राप्त करते हैं।
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