विन्ध्यवासिनी
माँ
निशुम्भ शुम्भ मर्दिनी,प्रचण्ड मुण्ड
खण्डिनी,
वने -रणे प्रकाशिनी भजामि विन्धयवासिनी।
त्रिशुल मुण्ड धारिणी,धरा विघात
हारिणी,
ग्रहे-गृहे निवासिनी,भजामि
विन्धयवासिनी।
दरिद्र दुःख हारिनी,सदा विभूति
कारिणी,
वियोग शोक हारिणी,भजामि
विन्ध्यवासिनी।
लसद्सुलोल लोचनम्,लतासनम्वरप्रदम्,
कपाल-शूल धारिणी,भजामि
विन्ध्यवासिनी।
कराभुजाधनद्धरम्,शिवाशिवम्
प्रदायिनी,
वराननम् शुभम्,भजामि
विन्ध्यवासिनी।
कपिन्द्रजामिनी प्रदम्,त्रिधास्वरूप धारिणी,
जले-थले निवासिनी,भजामिविन्ध्यवासिनी।
विशिष्टसृष्टि कारिणी,विशालरूप धारिणी,
महोदरे विलासिनी,भजामिविन्ध्यवासिनी।
पुरन्दरादि सेविताम्,पुरादिवंशखण्डिताम्,
विशुद्धबुद्धि कारिणी,भजामिविन्ध्यवासिनी।
भजामिविन्ध्यवासिनी भजामिविन्ध्यवासिनी।//
मेरी लाज-लाज राखो मेरी माई ,
तेरे चरण शरण में आई।
मेरी लाज-लाज राखो मेरी माई।
जग में तुम लाई मैं आई ,तुम न पराई मैं
न पराई,
कल्पलता में कली खिली जब मधुगंध जग में छाई।
मेरी लाज-लाज राखो मेरी माई।
नीलांबर माँ तेरा आँचल,ढलता कारक मेरा
ह्दयजल
मेरी लाज-लाज राखो मेरी माई।
पीर नीर में नहीं समाये, क्षितिज पार
स्वर आये जाये,
तेरे सिवा न जाने कोई असुवन की माँ गहराई।
मेरी लाज-लाज राखो मेरी माई।"
शक्ति के विभिन्न रूप :
हरियाली धरती की थाती,
मानस मंदिर हो उजियारा,
शांति धरा पर,शांति गगन में,
जैसे सौर उर्जा, यांत्रिक उर्जा,
रासायनिक
उर्जा, विद्युत् उर्जा, चुम्बकीय उर्जा, नाभिकीय उर्जा,
उष्मा/ताप
उर्जा आदि उर्जा/शक्ति के आधुनिक रूप कहे गए हैं वैसे ही प्राचीनकाल में शक्ति के
भी भिन्न-भिन्न रूप l
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी l
दुर्गा क्षमा शिव धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु
ते ll
अर्थ : जयंती, मंगला, काली,
भद्रकाली,
कपालिनी,
दुर्गा,
क्षमा,
शिवा,
धात्री,
स्वाहा
और स्वधा - इन नामों प्रसिद्ध जगदम्बिके ! तुम्हें मेरा नमस्कार हो l
शक्ति के विभिन्न रूप !
1. जयन्ती = सबसे उत्कृष्ट एवं विजय प्रदान
करनेवाली शक्ति
2. मंगला = जन्ममरण आदि सांसारिक बंधनों को दूर कर
मोक्ष प्रदान करनेवाली मंगलमयी शक्ति
3. काली = काल रुपी शिव की शक्ति, प्रलय
काल में सम्पूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बनाने वाली शक्ति, कृष्ण वर्ण
4. महाकाली = क्रोध से उत्पन्न, कार्तिकेय
की माता, दक्ष के यज्ञ को नाश करने वाली, भक्तों को देने
के लिए ही भद्र, सुख और मंगल को स्वीकार करने वाली शक्ति
5.कपालिनी = हाथ में कपाल और गले में मुण्डमाला
धारण करनेवाली शक्ति
6. दुर्गा = अष्टांगयोग, कर्म एवं
उपासनारूप दु:साध्य साधनों से प्राप्त होनेवाली शक्ति
7.क्षमा = सम्पूर्ण जगत की जननी होने से अत्यंत
करुणामय स्वभाव होने के कारण भक्तों और दूसरों के सारे अपराध क्षमा कर देने वाली
शक्ति
8. शिवा = सबका शिव अर्थात् कल्याण करनेवाली शक्ति
9.धात्री = सम्पूर्ण प्रपंच को धारण करने वाली
शक्ति
10.स्वाहा = स्वाहा रूप से यज्ञभाग ग्रहण करके
देवताओं का पोषण करने वाली शक्ति
11.स्वधा = स्वधा रूप से श्राद्ध और तर्पण स्वीकार
करके पितरों का पोषण करनेवाली शक्ति
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते l
जगदम्बा की करो आरती,
देवी माँ की करो आरती ।
आओ प्रति भारत-भारत जन,
आओ भारत प्रभा भारती ।
माँ जगदम्बा की करो आरती....
उषा संध्या कुमकुम लाली ।
दीप शिखा हर एक कली की,
सूरज की किरणों ने बाली ।
आओ प्रति भारत-भारत जन ,
आओ भारत प्रभा भारती।
माँ जगदम्बा की करो आरती....
मानव को मानव हो प्यारा ।
सब सुख आये, सब दुःख जाये।
क्षिर सिंधु हो सागर खारा ।
आओ प्रति भारत-भारत जन।
आओ भारत प्रभा भारती।
माँ जगदम्बा की करो आरती....
शांति विराजे मानव मन में।
अंतरिक्ष में शांति सनातन,
शांति विराजे जग जीवन में।
आओ प्रति भारत-भारत जन ,
आओ भारत प्रभा भारती।
माँ जगदम्बा की करो आरती....
ati uttam...badhut badiya
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