शुक्रवार, 20 जून 2014

वृक्ष की उपयोगिता

ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक दिन का संबंध ग्रहों की सत्ता पर आधारित है। बुधवार का दिन बुध देव को समर्पित है। बुध देव बुद्धि व चतुराई के दाता हैं। जीवन में सफलता पाने के लिए बुद्धि और चतुराई का समावेश होना अत्यंत अवश्यक है।
बुधवार का दिन बुध ग्रह से संबंधित है, जिसके अधिपति स्वयं लक्ष्मी नारायण विष्णु हैं। लक्ष्मी तभी प्रसन्न होंगी जब नारायण प्रसन्न रहेंगे। अत:बुधवार को किया गया धन संग्रह अधिक संमय तक स्थायी रहता है इसलिए धन की वृद्धि से जुड़े सभी कार्यों के लिए बुधवार सर्वश्रेष्ठ वार है ।
यदि बुधवार के दिन किसी शुभ कार्य के लिए जा रहे हैं तो गणेश जी को मोदक प्रसाद के रूप में चढ़ाएं और फिर प्रसाद ग्रहण करके लक्ष्य की ओर निकलें। ऐसा करने पर आपके सभी कार्य समय पर पूर्ण होंगे और सफलता प्राप्त होगी।
इसके लिए धन प्रबंध बहुत आवश्यक है। बुधवार के दिन कोई भी व्यापार प्रारंभ किया जाए तो उसमें सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। वणिक वर्ग के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे बुधवार के दिन किसी को भी धन नहीं दें। बुधवार का दिन धन संग्रह के लिए है ना कि धन देने के लिए।
इस दिन किए जाने योग्य कार्य, बैंक में जमा खाता खुलवाना, बीमा करवाना, धन का आदान प्रदान करना, रूपए पैसों का लेन देन करना, इन्वेस्टमेन्ट करना, गोदाम में माल भरना इत्यादि कार्य करने शुभ रहते हैं।
हम जिस घर में रहते हैं उसकी बनावट, दिशाएं और घर में पचंतत्वों के उचित समावेश का हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही हमारे आस-पास भवन के आस-पास के वातावरण में उगने वाले पेड़ पौधों का शुभ प्रभाव पड़ता है।
इसलिए घर के सामने लॉन में पेड़ पौधे लगाना चाहिए। इस संबंध में वास्तुशास्त्र के विद्वानों का अलग-अलग मत है। घर के बाहर पेड़ लगाते समय ध्यान रखना चाहिए कि पेड़ भवन से इतनी दूर लगाए जाएं कि सुबह 9 बजे से लेकर तीसरे प्रहर यानी तीन बजे तक पेड़ की छाया मकान पर न पड़े। इसके साथ ही कुछ ऐसे ही वास्तु टिप्स...

  • विशाल वृक्षों में कैथ वृक्ष घर के उत्तर में वट वृक्ष, पूर्व में गूलर दक्षिण में तथा पीपल पश्चिम लगाना शुभ होता है।
  • घर के पूर्व में ऊंची इमारतें या विशाल वृक्ष नहीं होने चाहिए। इसके साथ ही देवालय, मठ, मकान सूर्य की जीवनदायिनी किरणें और वायु से वंचित रहे वह शुभफलदायी नहीं होता।
  • पाकड़, गूलर, आम, नीम, सुही, बहेड़ा, कांटे वाला बरगद, पीपल, कैथ, इमली की लकड़ियों को निर्माण कार्य में नहीं लगाना चाहिए।
  • ऐसे पौधे जिनके लिए केवल जल ही पर्याप्त है जैसे मनीप्लांट को किसी भी कक्ष में पूर्व दिशा, उत्तर दिशा या ईशान कोण में भी रखा जा सकता है।
  • आजकल बोनजाई का प्रचलन है। किसी भी कक्ष में यदि बोनजाई रखना हो तो इसके लिए पश्चिम की ओर या दक्षिण की ओर रखना चाहिए।
  • घर के पास कांटे वाले पौधे जैसे बेर की झाड़ी, अकोआ, महुआ आदि नहीं लगाना चाहिए। अगर पहले से हैं तो इन्हें कटवा दें। यदि इन्हें कटवाना चाहते हैं तो इनके बीच शुभदायक पौधे जैसे अशोक, शाल, कटहल लगा देना चाहिए।
  • घर के सामने आंगन में गुलाब, गेंदा, रात की रानी, बेला आदि सुगंध वाले पौधे गमलों में या ऐसे ही लगाएं कि दूर से नजर आएं। अशोक के पेड़ घर के सामने नहीं लगाना चाहिए। यह शुभ होते हैं। यह घर को शुद्ध रखते हैं।
                           निम्नलिखित वृक्षों के  लगाने से उचित उत्कर्ष प्राप्त होता है !
    ०अशोक का वृक्ष लगाने से शोक नष्ट होता है ! वेल से पुत्र /दीर्घायु ,कदम्ब से लक्ष्मी ,अवला से स्वर्ग ,अनार और पाकर से स्त्री प्राप्ति ,अश्वत्थ पीपल से सद्गति व  शमी छोकर से रोग की निवृति होती है !
    ०फाल्गुन में वृक्ष लगाने से कल्याण ,चैत्र में आनन्द ,भौतिक सुख ,कार्तिक में सर्व सुख वृद्धि व अगहनमें वृक्ष लगाने से अतुल सौभाग्य की प्राप्ति होती है
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