स्वस्तिवाचन -सभी शुभ एवम मांगलिक व धार्मिक कार्यो को प्रारम्भ करने से पूर्व वेद के कुछ मंत्रो का पाठ होता है जो स्वस्ति पाठ या स्वस्तिवाचन कहलाता है ! वायु की पत्नी का स्वस्ति नाम का पाठ इसमें आता है इस सूक्त का पाठ करने से कल्याण होता है !काणव संहिता ,मैत्रायणी संहिता ,और ब्राम्हण आरण्यकमें भी प्राय; यथावत रूप में ही मिलता है !इस सूक्त में १० ऋचायेहै ऋषि गौतम देव विस्वेदेवा है समस्त कार्यो की निर्विघ्नता हेतु मंगल प्राप्ति की प्रार्थना करते है !
भू त भावन भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु रूद्र सूक्त [ रुद्र अष्टाध्यायी ]पाठ का विशेष महत्व है उन्हें जलधारा प्रिय है !
देव विष्णु संसार के पालक है उनके निमित पुरुष सूक्त पाठ का विधान है !
सूर्य की स्तुति से हमे द्रष्टि प्राप्ति यश प्राप्ति व देवी स्तुति से शक्ति व रक्षा प्राप्ति होती है !
आ नो भद्रा; क्रतवो यन्तु विस्वतो s द्व्धासो अपरीतास उद्भिद; ! देवा नो यथा सदमिद व्रधे असन्न प्रायुवो रक्षितारो दिवे दिवे ! !१!!
सब ओर से निर्विघ्न स्वयंअज्ञात अन्य यज्ञो को प्रकट करने वाले कल्याणकारी यग्य हमे प्राप्त हो !सब प्रकार से आलस्य रहित होकर प्रति दिन रक्षा करने वाले देवता सदैव हमारी वृद्धि के निमित प्रयत्नशील हो !देवानाम भद्रा सुमति; रिजुयताम देवानां ग्व राति रभिनो निवरत्ताम!देवानां ग्व सख्य मुप सेदिमा वयं देवा न आयु; प्रति रंतु जीवसे ! !2!!................
हमे पांचदेवो की सदैव पूजा करनी चाहिए -देव गणेश ,विष्णु ,शिव,सूर्य व देवी भगवती दुर्गा की उपासना करनी चाहिए !भू त भावन भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु रूद्र सूक्त [ रुद्र अष्टाध्यायी ]पाठ का विशेष महत्व है उन्हें जलधारा प्रिय है !
देव विष्णु संसार के पालक है उनके निमित पुरुष सूक्त पाठ का विधान है !
सूर्य की स्तुति से हमे द्रष्टि प्राप्ति यश प्राप्ति व देवी स्तुति से शक्ति व रक्षा प्राप्ति होती है !
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