हरियाली तीज: तो इसलिए सुहागिनें व कन्याएं निर्जला
व्रत रखकर करती हैं पार्वती जी की पूजा
हरियाली
तीज: तो इसलिए सुहागिनें व कन्याएं निर्जला व्रत रखकर करती हैं पार्वती जी की
पूजा
सावन में शुक्ल पक्ष की तृतीया का बड़ा महत्व होता है। इसे हरियाली तीज के रूप में भी जाना जाता है।
इस दिन कन्याएं व महिलाएं अपने सुहाग के लिए पार्वती जी की पूजा
करती हैं...
शिव जी पति के रूप में
सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया हरियाली तीज के रूप में लगभग पूरे देश में मनाई जाती है। जिस समय यह त्योहार मनाया जाता है उस समय चारों ओर हरियाली छाई रहती है। जिससे मन में उमंग, आस्था और प्रेम का अनोखा संगम होता है। मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। ऐसे में 108वें जन्म में इसी दिन भगवान शिव जी उन्हें पति के रूप में मिले हैं।
सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया हरियाली तीज के रूप में लगभग पूरे देश में मनाई जाती है। जिस समय यह त्योहार मनाया जाता है उस समय चारों ओर हरियाली छाई रहती है। जिससे मन में उमंग, आस्था और प्रेम का अनोखा संगम होता है। मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। ऐसे में 108वें जन्म में इसी दिन भगवान शिव जी उन्हें पति के रूप में मिले हैं।
सोलह श्रृंगार कर होती पूजा
ऐसे में यह व्रत पति की
लंबी आयु, बेहतर स्वास्थ्य व सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है।
इस दिन माता पार्वती की पूजा बड़े धूमधाम से होती है। कुंआरी लड़कियां
व सुहागिन महिलाएं सभी हरियाली तीज पर निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन
सुहागिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके
विधिविधान से मां पार्वती की पूजा
करती हैं। पूजा अर्चना के बाद बड़े
बुजुर्गों से आर्शीवाद लेना जरूरी होता
है।
विवाह की रुकावटें दूर होती
हरियाली तीज को लेकर यह भी
माना जाता है कि जिन लड़कियों के विवाह में देरी होती है। इस व्रत को
करने से उन्हें माता पार्वती की विशेष कृपा मिलती है। उनके विवाह में
आने वाली रुकावटें दूर हो जाती हैं। वहीं
नविवाहिताओं के लिए यह दिन और ज्यादा
खास होता है। विवाह के बाद
मायके में उनकी यह पहली हरियाली तीज
होती हैं। इस दिन पूजा के बाद कई
जगहों पर रंग–बिरंगे परिधानों में झूले
झूलने व लोकगीत आदि गाने का भी
रिवाज है।
संकलन
संकलन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें