हनुमान जयंती 2016 विशेष उपाय
हनुमान जयंती पर करें ये उपाय :-
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धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा
को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 अप्रैल,
शुक्रवार
को है।
हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी व महायोगी भी हैं।
इसलिए सबसे जरूरी है कि उनकी किसी भी तरह की उपासना में वस्त्र से लेकर विचारों तक
पावनता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं।
1. हनुमान जयंती पर हनुमानजी को सिंदूर का चोला
चढाएं। हनुमानजी को चोला चढ़ाने से पहले स्वयं स्नान कर शुद्ध हो जाएं और साफ
वस्त्र धारण करें। सिर्फ लाल रंग की धोती पहने तो और भी अच्छा रहेगा। पूर्णिमा
तिथि या शनिवार को हनुमानजी को तिल या चमेली का तेल मिले सिंदूर से चोला चढ़ाने से
सारी भय, बाधा और मुसीबतों का अंत हो जाता है। चोला चढ़ाते वक्त इस मंत्र का
स्मरण करें -
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यसुखवर्द्धनम्।
शुभदं चैव
माङ्गल्यं सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।
चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का उपयोग
करें। साथ ही, चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमानजी के सामने जला
कर रख दें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें ।
चोला चढ़ाने के बाद हनुमानजी को गुलाब के फूल
की माला पहनाएं और केवड़े का इत्र हनुमानजी की मूर्ति के दोनों कंधों पर थोड़ा-थोड़ा
छिटक दें। अब एक साबूत पान का पत्ता लें और इसके ऊपर थोड़ा गुड़ व चना रख कर
हनुमानजी को इसका भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद उसी स्थान पर थोड़ी देर बैठकर तुलसी
की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य
करें।
मंत्र- राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
अब हनुमानजी को चढाए गए गुलाब के फूल की माला
से एक फूल तोड़ कर उसे एक लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान यानी तिजोरी में
रखें। आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।
2. हनुमान जयंती को शाम के समय समीप स्थित किसी
ऐसे मंदिर जाएं, जहां भगवान श्रीराम व हनुमानजी दोनों की ही
प्रतिमा हो। वहां जाकर श्रीराम व हनुमानजी की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी के दीपक
जलाएं। इसके बाद वहीं भगवान श्रीराम की प्रतिमा के सामने बैठकर हनुमान चालीसा तथा
हनुमान प्रतिमा के सामने बैठकर राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इस उपाय से भगवान
श्रीराम व हनुमानजी दोनों की ही कृपा आपको प्राप्त होगी।
3 हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह बहुत प्राचीन
टोटका है।
हनुमान जयंती पर सुबह स्नान आदि करने के बाद
बड़ के पेड़ से 11 या 21 पत्ते तोड़ लें। ध्यान रखें कि ये
पत्ते पूरी तरह से साफ व साबूत हों। अब इन्हें स्वच्छ पानी से धो लें और इनके ऊपर
चंदन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। अब इन पत्तों की एक माला बनाएं। माला बनाने
के लिए पूजा में उपयोग किए जाने वाले रंगीन धागे का इस्तेमाल करें। अब समीप स्थित
किसी हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान प्रतिमा को यह माला पहना दें।
ऐसे ही श्री राम लिखे एक पत्ते को अपने पर्स
में रख लें। साल भर आपका पर्स पैसों से भरा रहेगा। इसके बाद जब दोबारा हनुमान
जयंती का पर्व आए तो इस पत्ते को किसी नदी में प्रवाहित कर दें और इसी प्रकार से
एक और पत्ता अभिमंत्रित कर अपने पर्स में रख लें।
४ . अगर आप शनि या राहु के दोष से पीड़ित हैं
तो हनुमान जयंती पर काली उड़द व कोयले की एक पोटली बनाएं। इसमें एक रुपए का सिक्का
रखें। इसके बाद इस पोटली को अपने ऊपर से उसार कर किसी नदी में प्रवाहित कर दें और
फिर किसी हनुमान मंदिर में जाकर राम नाम का जाप करें इससे शनि दोष का प्रभाव कम हो
जाएगा।
हनुमानजी शिव के अवतार हैं और शनिदेव परम शिव
भक्त और सेवक हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा पर शनि दशा या अन्य ग्रहदोष से आ रही कई
परेशानियों और बाधाओं से फौरन निजात पाने के लिए श्रीहनुमान चालीसा, बजरंगबाण,
हनुमान
अष्टक का पाठ करें। श्रीहनुमान की गुण, शक्तियों की महिमा से भरे मंगलकारी
सुन्दरकाण्ड का परिजनों या इष्टमित्रों के साथ शिवालय में पाठ करें। यह भी संभव न
हो तो शिव मंदिर में हनुमान मंत्र ‘हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्’
का
रुद्राक्ष माला से जप करें या फिर सिंदूर चढ़े दक्षिणामुखी या पंचमुखी हनुमान के
दर्शन कर चरणों में नारियल चढ़ाकर उनके चरणों का सिंदूर मस्तक पर लगाएं। इससे
ग्रहपीड़ा या शनिपीड़ा का अंत होता है।
निम्न स्तुति का फल भी अपरम्पार है। चाहे रोग
हो अथवा राहू केतु शनि मंगल आदि ग्रह जनित दोष कष्ट इसके पाठ से सब शांत हो जाते
हैं।
यदि निम्न स्तुति की हर पंक्ति के अंत में
नमामि लगा कर पाठ करें तो यह हनुमानाष्टक के समान फल प्रदान करती है।
अतुलित बलधामं स्वर्ण शैलाभ देहं ।
दनुज वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।।
सकल गुण निधानं वानराणामधीशं।
5 . शास्त्रों में हनुमानजी की भक्ति तंत्र मार्ग व
सात्विक मार्ग दोनों ही तरह से बताई गई है। इसके लिए मंत्र जप भी प्रभावी माने गए
हैं। सात्विक तरीकों से कामनापूर्ति के लिए मंत्र जप रुद्राक्ष माला से और तंत्र
मार्ग से लक्ष्य
पूरा करने के लिए मूंगे की माला से मंत्र जप
बड़े ही असरदार होते हैं.
6. मनचाही मुराद पूरी करने के लिए सिंदूर लगे एक
नारियल पर मौली या कलेवा लपेटकर हनुमानजी के चरणों में अर्पित करें।
7. हनुमानजी को नैवेद्य चढ़ाने के लिए भी
शास्त्रों में अलग- अलग वक्त पर विशेष नियम उजागर हैं। इनके मुताबिक सवेरे हनुमानजी
को नारियल का गोला या गुड़ या गुड़ से बने लड्डू का भोग लगाना चाहिए। इसी तरह
दोपहर में हनुमान की पूजा में घी और गुड़ या फिर गेहूं की मोटी रोटी बनाकर उसमें
ये दोनों चीजें मिलाकर बनाया चूरमा अर्पित करना चाहिए। वहीं, शाम
या रात के वक्त हनुमानजी को विशेष तौर पर फल का नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। हनुमानजी को
जामफल, केले, अनार या आम के फल बहुत प्रिय बताए गए हैं। इस
तरह हनुमानजी को मीठे फल व नैवेद्य अर्पित करने वाले की दु:ख व असफलताओं की
कड़वाहट दूर होती है और वह सुख व सफलता का स्वाद चखता है।
8 . शाम के वक्त हनुमानजी को लाल फूलों के साथ जनेऊ,
सुपारी
अर्पित करें और उनके सामने चमेली के तेल का पांच बत्तियों का दीपक नीचे लिखे मंत्र
के साथ लगाएं
- साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निनां योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश प्रसीद परमेश्वर।
यह उपाय किसी भी विघ्र-बाधा को फौरन दूर करने
वाला माना जाता है
9 . पूर्णिमा पर पूर्ण कलाओं के साथ उदय होने वाले
चंद्रमा की रोशनी नई उमंग, उत्साह, ऊर्जा व आशाओं
के साथ असफलताओं व निराशा के अंधेरों से निकल नए लक्ष्यों और सफलता की ओर बढऩे की
प्रेरणा देती है।
लक्ष्यों को भेदने के लिये इस दिन अगर
शास्त्रों में बताए श्रीहनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का
ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो आने वाला वक्त बहुत ही शुभ व मंगलकारी
साबित हो सकता है। इसे हर रोज भी सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें –
हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख:पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयंनास्ति रणे च विजयी भवेत्।।
इस खास मंत्र स्तुति में श्री हनुमान के 12
नाम उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते
हैं ।
(10) जीवन के हर क्षेत्र में हनुमान जी की कृपा
प्राप्ति के लिए निम्न श्लोकों का पाठ करना चाहिए।
जयत्यतिबलो रामो लक्ष्मणश्च महाबलः।
राजा जयति सुग्रीवो राघवेणाभिपालितः।।
दासोऽहं कोसलेन्द्रस्य रामस्याक्लिष्ट कर्मणः।
हनूमान शत्रुसैन्यानां निहन्ता मारुतात्मजः।।
न रावणसहस्रं मे युद्धे प्रतिबलं भवेत्।
शिलाभिश्च प्रहरतः पादपैश्च सहस्रशः।।
अर्दयित्वा पुरीं लंकामभिवाद्य च मैथिलीम्।
समृद्धार्थो गमिष्यामि मिषतां सर्वरक्षसाम्।।
(वा.रा. 5/42/33-36)
(11) हनुमान बाहुक के पाठ से सभी रोग एवं पीड़ाएं दूर
हो जाती हैं। एक बार जब तुलसी दास जी स्वयं गंभीर रोग से पीड़ित हुए और कोई दवा
वैद्य पूजा उनके कम न आई तो उन्होंने उसी असहय पीड़ा में हनुमान बाहुक नामक स्तोत्र
की रचना की और स्तवन किया। हनुमान जी की कृपा से वे शीघ्र ही स्वस्थ हो गए।
हनुमान जी की भक्ति स्त्री, पुरुष,
बालक,
वृद्ध
सभी समान रूप से कर सकते हैं। भक्त की भक्तवत्सलता, श्रद्धा भाव,
संबंध,
समर्पण
ही श्री हनुमान जी की कृपा का मूल का मंत्र है।
ॐ हं हनुमते रुद्रत्मकाये हुम् फट।
(12) आय / व्यापर वृद्धि के लिए
एक नींबू, पांच साबुत
सुपारियां, एक हल्दी की गांठ, काजल की डिबिया,
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साबुत काली मिर्च, पांच लौंग तथा रुमाल के आकार का लाल कपड़ा घर या
मंदिर में एकांत में बैठ जाएं। उक्त मंत्र का 108 बार जप करके
उक्त सामग्री को लाल कपड़े में बांध लें। इस पोटली को घर या दुकान के मुख्य द्वार
पर लगा दें, आय में वृद्धि होगी तथा व्यापार बंधन किये
कराये आदि संकटों से मुक्ति मिलेगी। इस प्रयोग से कर्मचारियों की कार्य क्षमता में
भी वृद्धि होती है और नौकरी व्यापार में स्थायित्व भी आ जाता है।
(13) स्वप्न सिद्धि भविष्य कथन सिद्धि
ॐ नमो भगवते अञ्जन-पुत्राय, उज्जयिनी-निवासिने,
गुरुतर-पराक्रमाय,
श्रीराम-दूताय
लंकापुरी-दहनाय, यक्ष-राक्षस-संहार-कारिणे हुं फट्।”
विधिः- उक्त ‘गुर्जर’ मन्त्र
का दस हजार जप रात्रि में भगवती दुर्गा के मन्दिर में करना चाहिए। तदन्तर केवल एक
हजार जप से कार्य-सिद्धि होगी।
इस मन्त्र से अभिमन्त्रित तिल का लड्डू खाने से
और भस्म द्वारा मार्जन करने से भविष्य-कथन करने की शक्ति मिलती है।
तीन दिनों तक अभिमन्त्रित शर्करा को जल में
पीने से श्रीहनुमानजी स्वप्न में आकर सभी बातें बताते हैं, इसमें सन्देह
नहीं।
(14) इसके अतिरिक्त हनुमान जी की प्रसन्नता और कृपा
प्राप्ति के लिए हनुमान यन्त्र का भी पूजन किया जाता है।
जो लोग कमजोर मनोबल के हो, दिन
रात सदैव डर लगता हो, डरावने सपने आते हों, या बार बार काम
बदलते हों, कुंडली में उच्च या नीच का मंगल कष्टकारी हो
उन्हें ये यन्त्र किसी योग्य ब्राह्मण से विधि पूर्वक सिद्ध करवा कर गले में ताबीज
में डालकर पहनना चाहिए।
(15) मंगल शांति
मित्रों, 17 अप्रैल 2016 को
सायं17:47 से मंगल देव वक्री हो गए हैं जो 29 जून 2016
रात्रि 22:57 तक वक्री गोचर करेंगे।
अग्नि तत्व वाले मंगल ग्रह का वक्री होना उन
सभी लोगों के लिये कष्टकर हो सकता है जो की जन्मकुंडली अनुसार मंगली हैं, या
उच्च नीच या पाप / कष्ट भावस्थ होने से परेशान हैं।
ऐसे में मंगल देव की शांति के लिये हनुमान जी
की पूजा अर्चना और जप विशेष लाभदायी हैं।
जिनके घर में सदा क्लेश हो, क़र्ज़
बढ़ गए हों, तरक्की न होती हो या संतान गलत दिशा में भटक
गयी हो अथवा रोज कोई न कोई अपशकुन होता हो उन्हें ताम्बे में बना ये यन्त्र विधि
पूर्वक प्रतिष्ठित करवा कर अपने घर मे स्थापित करना चाहिए व् इसका नित्य पूजन करना
चाहिए।ं
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान,
कुंडली
विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
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