हवा लगी पश्चिम की ,
सब कुप्पा होकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा ,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का ,
ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे ,
जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है ,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
सूनी है पेड़ों की डालें ,
फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे , आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो ,
सजनी अपने साजन का ।।
अभी ना उल्लासित हो इतने ,
आई अभी बहार नहीं ।
हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।
लिए बहारें आँचल में ,
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके ,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा ,
दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में ,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो ,
यूँ कब तक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,
कब तक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का ,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम ,
हवा लगी पश्चिम की ,
सब कुप्पा होकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा ,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का ,
ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे ,
जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है ,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
सूनी है पेड़ों की डालें ,
फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे ,
रंग कहां है जीवन में ।।
बाट जोह रही सारी प्रकृति ,
आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो ,
सजनी अपने साजन का ।।
अभी ना उल्लासित हो इतने ,
आई अभी बहार नहीं ।
हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।
लिए बहारें आँचल में ,
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके ,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा ,
दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में ,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो ,
यूँ कब तक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,
कब तक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का ,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम ,
अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।।
🚩जय माँ भारती
🚩जय माँ भारती![](https://static.xx.fbcdn.net/images/emoji.php/v9/fc6/1/16/1f6a9.png)
ईस्वी सन तो याद रहा ,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का ,
ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे ,
जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है ,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
सूनी है पेड़ों की डालें ,
फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे , आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो ,
सजनी अपने साजन का ।।
अभी ना उल्लासित हो इतने ,
आई अभी बहार नहीं ।
हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8tpTNMneMDnI2tnPGa3FaKWTV7sEvYRQSv5eV_GoNkqMu4n2PU8aEpmi05Y_c39o6156y_1yac_yiGr1Kl9rmA9mszSLMas_-xaYsRsghs0ABT_SzdLHBIyburaPMdHmqj98Q28ItlsM/s320/26165950_1312081972231359_903453622589664728_n.jpg)
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके ,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा ,
दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में ,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो ,
यूँ कब तक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,
कब तक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का ,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम ,
हवा लगी पश्चिम की ,
सब कुप्पा होकर फूल गए ।
ईस्वी सन तो याद रहा ,
पर अपना संवत्सर भूल गए ।।
चारों तरफ नए साल का ,
ऐसा मचा है हो-हल्ला ।
बेगानी शादी में नाचे ,
जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।
धरती ठिठुर रही सर्दी से ,
घना कुहासा छाया है ।
कैसा ये नववर्ष है ,
जिससे सूरज भी शरमाया है ।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzAkVXTMeoJNgVfxykLcXRKQhnNptYhHyW0HCcFbFoN0kXmO09AzmjHv3YxPfbVnUpih-yGan9fzwO4teI3fdeYbP_jtnA9p1z-QbPkGbn4VXi8Xn8DoaOdCQacqM0lLi6cA0a2EOxUdc/s320/26112068_1940337825994203_3617679097618519413_n.jpg)
सूनी है पेड़ों की डालें ,
फूल नहीं हैं उपवन में ।
पर्वत ढके बर्फ से सारे ,
रंग कहां है जीवन में ।।
बाट जोह रही सारी प्रकृति ,
आतुरता से फागुन का ।
जैसे रस्ता देख रही हो ,
सजनी अपने साजन का ।।
अभी ना उल्लासित हो इतने ,
आई अभी बहार नहीं ।
हम अपना नववर्ष मनाएंगे ,
न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।
लिए बहारें आँचल में ,
जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।
फूलों का श्रृंगार करके ,
धरती दुल्हन बन जाएगी ।।
मौसम बड़ा सुहाना होगा ,
दिल सबके खिल जाएँगे ।
झूमेंगी फसलें खेतों में ,
हम गीत खुशी के गाएँगे ।।
उठो खुद को पहचानो ,
यूँ कब तक सोते रहोगे तुम ।
चिन्ह गुलामी के कंधों पर ,
कब तक ढोते रहोगे तुम ।।
अपनी समृद्ध परंपराओं का ,
आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।
आर्यवृत के वासी हैं हम ,
अब अपना नववर्ष मनाएंगे ।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJKI4gquCVkUKtMrIwq42wjfHb-k3a77PFUjaYs9q8obIKwkFK3TnkzE4iSH-pvEuX5EorVzjWi68G-GS9rROtT8Mtgey4n4YiTm37bxdQVxnEFUUaqFmrevKeY1iJBWr0GOWENEAAtYI/s320/26165465_1949343388649690_1199078085125252220_n.jpg)
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