कुर्सी-टेबल
पर बैठकर खाने को लोग सभ्य तरीका मानने लगे हैं, मगर जमीन पर
बैठकर खाने के पीछे कई फायदेे भी छिपे थे जिनसे आपको रूबरू कराते हैं-
वैसे तो कहते हैं वक्त के साथ खुद को बदलने में ही समझदारी है, मगर जमाने के साथ कई चीजें यूं ही नहीं चली आ रही हैं। उनके पीछे कुछ वजहें छिपी हैं, उनके कुछ महत्व हैं, जिनसे शायद हम युवा पीढ़ी अनजान हैं। अब जैसे कि जमीन पर बैठकर खाने की भारतीय परंपरा को ही ले लीजिए, जो अब धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर है। घर के रसोईघर में मां रोटी पकाती जाती थी और बच्चे वहीं जमीन बैठकर खाते जाते थे। या फिर किसी के घर शादी या अन्य कोई कार्यक्रम हो तो लोग एक साथ कतार में बैठकर खाते थे। अब यह नजारा गांवों तक ही सीमित रह गया है या फिर गुरुद्वारे के लंगर में। कुर्सी-टेबल पर बैठकर खाने को लोग सभ्य तरीका मानने लगे हैं, मगर जमीन पर बैठकर खाने के पीछे कई फायदेे भी छिपे थे जिनसे आपको रूबरू कराते हैं-
- आपने
सुखासन योग के बारे में तो सुना ही होगा, जिसमें पालथी मारकर बैठते हैं। नीचे बैठकर खाते समय भी हम पालथी
मारकर बैठते हैंं जिससे हमारा शरीर लचीला बनता है और मन शांत रहता है। इसके अलावा
जमीन पर बैठने से तनाव भी खत्म होता है।
- मौजूदा
जीवनशैली को देखते हुए लोगों में मोटापे की समस्या आम हो गई है, मगर आप यह जानकर जरूर हैरान रह जाएंगे
कि जमीन पर बैठकर खाने से हमारा वजन भी नियंत्रित रहता है। पालथी मारकर बैठने से
आपका दिमाग शांत रहता है और पूरा ध्यान खाने पर होता है। ऐसे में आप जरूरत से
ज्यादा खाने से भी बचते हैं।
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- जमीन
पर बैठकर खाते समय हमारा शरीर आगे की तरफ झुकता है और फिर सीधी मुद्रा में आता है।
ऐसे में हमारे शरीर में पाचन क्रिया भी सही रहती है और आप अपच की परेशानी से बच
जाते हैं। इसलिए अगर मोटापे की समस्या से परेशान हैं तो फिर से जमीन पर बैठकर खाना
शुरू कर दीजिए।
- जमीन
पर बैठकर खाने से हमारे शरीर में खून का बहाव भी सही होता है और इस तरह दिल बड़ी
आसानी से पाचन में मदद करने वाले सभी अंगों तक खून पहुंचाता है, लेकिन जब आप कुर्सी पर बैठ कर खाना
खाते हैं तो यहां ब्लड सर्कुलेशन विपरीत होता है। इसमें सर्कुलेशन पैरों तक होता
है, जो कि खाना खाते
समय जरूरी नहीं होता है।
- इस
पारंपरिक तरीके को अपनाने से आप समय से पहले बुढ़ेे भी नहीं हो सकते, क्योंकि इस मुद्रा में बैठकर खाने से
रीढ़ की हड्डी और पीठ से जुड़ी कोई समस्या नहीं हो सकती है। साथ ही जो लोग कंधों को
पीछे धकेलते हुए गलत मुद्रा में बैठने के कारण किसी तरह के दर्द से परेशान होते
हैं, वो समस्या भी इस
आसन में बैठकर खाने से दूर हो जाती है।
- पद्मासन
और सुखासन एक ऐसी मुद्रा है ,जो
आपके पूरे शरीर को लाभ पहुंचाती है। ये केवल आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में
ही मदद नहीं करते, बल्कि
आपके जोड़ों को कोमल और लचीले बनाए रखने में भी मदद करते हैं। गठिया व हड्डियों की
कमजोरी जैसे अपक्षयी रोगों से भी बचाते हैं। लचीलेपन के साथ जोड़ों में चिकनाई आती
है, जिससे जमीन पर
बैठने में आसानी होती है।
- एक
और फायदा जो जमीन पर बैठकर खाने से होता है, वो हमारे शरीर से नहीं बल्कि हमारे पारिवारिक प्रेम से जुड़ा हुआ है।
जमीन पर अपने परिवार के साथ बैठकर खाने से आपसी प्रेम व सामंंजस्य बढ़ता है। यह एक
पारिवारिक गतिविधि का हिस्सा होता है जब सभी लोग एक साथ बैठकर हंसी- खुशी खाना
खाते हैं।
किन्नरों की दुआओं में होता है बेहद असर, पर जानिए क्यों मना है उनके हाथ का खाना
-हमारे
धर्म-ग्रंथों में भोजन संबंधी कुछ स्थानों का उल्लेख किया गया है, जहां पर खाना मना है। इसके अनुसार
वर्जित स्थानों पर भोजन करने से चरित्र और मस्तिष्क दोनों दूषित हो जाता है
आपने अपने बड़े-बुजुर्गों से जरूर यह कहते हुए
सुना होगा जैसा होवे अन्न वैसा होवे मन, यानि कि जैसा हम भोजन करते हैं हमारे आचार-विचार भी उसी दिशा में
परिवर्तित होते हैं। इसलिए हमारे धर्म-ग्रंथों में भोजन संबंधी कुछ स्थानों का
उल्लेख किया गया है, जहां
पर खाना मना है। इसके अनुसार वर्जित स्थानों पर भोजन करने से चरित्र और मस्तिष्क
दोनों दूषित हो जाता है और इन वर्जित स्थानों में किन्नरों का घर भी शामिल है।
जी हां, वैसे तो धर्म-ग्रंथोंं में ही किन्नरों की दुआओं को सबसे असरदार
बताया गया है और उन्हें दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है। मगर कहा जाता है कि किन्नरों
के घर अच्छे और बुरे दोनों प्रवृत्ति के लोगों का दान आता है और इसीलिए उनके घर का
भोजन करना वर्जित माना गया है। दरअसल, यह पता लगाना मुश्किल होता है कि जिस भोजन को ग्रहण किया जा रहा है, वह अच्छे व्यक्ति का है या बुरे। इसी
तरह आइए आपको बताते हैं कि गरुण पुराण के अनुसार कैसे लोगों के हाथ और घर का भोजन
करना वर्जित है-
- कहा
गया है कि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति के घर का भोजन करने से आप भी उस रोग
से पीड़ित हो सकते हैं।
- ब्याज
पर पैसे का लेन-देन किसी दरिद्र की मजबूरी का फायदा उठाना माना गया है। इसलिए ऐसे
व्यक्ति के घर का भोजन ग्रहण करने से आपके हिस्से भी उसके पाप का दोष आ सकता है।
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