क्यों ज़रूरी होता है ! विवाह से पूर्व कुम्भ और अर्क विवाह करना ?
यदि वर या कन्या की
कुंडली में बारहवाँ अथवा सातवां भाव क्रूर ग्रहो से पीड़ित नजर आता हो तो अथवा सूर्य और शुक्र
द्वादशेस या सप्तमेश शनि से पीड़ित हो रहे हो अथवा कुंडली मंगल दोष से मुक्त हो
अर्थात लड़के या लड़की की कुंडली में 1 ,4 ,7 ,8 ,12 इन भावो में मंगल की युति हो रही हो तो
दांपत्य जीवन में सुख की कमी विवाह में विलम्भ होना,बार-2 विवाह का टूटना आदि समस्याऐ आती है ! ऐसी
समस्याओ के लिए धरम सिंध ग्रन्थ के अनुसार अर्क विवाह लड़के के लिए और कुम्भ विवाह
लड़की के लिए विवाह से पूर्व कराना अति आवश्य्क है ! कुम्भ विवाह के लिए चन्द्रमा
की अनुकूलता देखना चाहिए ! एवम अर्क विवाह को सनिवार ,रविवार या हस्त नक्षत्र में ही कराना
चाहिए ऐसा करने से कुंडली में बन रहे कुयोग विधवा योग जीवन साथी में से किसी एक की
मृत्यु ,दाम्पत्य
सुख में कमी ,जीवन साथी का अत्याधिेक क्रोधी स्वाभाव का होना आदि दोष दूर हो जाते
है ! जो युवक - युवती अपना मनपसंद जीवन साथी चुनना चाहते है {लव मैरिज } और उनकी कुंडली में
ऐसे योग भी है तो उनको इन दोषो से मुक्ति प्राप्त होती है और मनपसंद जीवन साथी
मिलता है कई विद्वानो के मत अनुसार कन्या का विवाह विष्णु प्रतिमा , पीपल के पेड़ आदि से
कराना बताया गया है ! किन्तु कुम्भ विवाह कराने से भी वही फल मिलता है !भागवान
कृष्ण ने गीता में भी कहा है की बृक्षयो में पीपल में ही हूँ ! और कुम्भ विवाह में
कलश पर भागवान बिष्णु का ही आवाहन किया जाता है ! सोने की प्रतिमा से विवाह करने
के लिए अग्नि उत्तारण आदि विधि अति आवस्यक है तभी प्राण प्रतिष्ठा का विधान बतलाया
है ! किन्तु कलश कुम्भ विवाह में इन सभी की आवश्कयता नहीं है ! यह एक शास्त्र मत
है इसके आलावा कतिपय जोय्तिषी बेर के पेड़ , केले के पेड़ ,तुलसी के पेड़ या शालिग्राम से विवाह करने
की सलाह देते है जो की किसी भी तरह उचित नहीं है अतः इसके लिए उचित आचार्ये का
होना अति आवस्यक है यह विधि विवाह से पूर्व एक ही बार संम्पन कराई जाती है ! अतः
किसी सुयोग्य अनुभवी आचर्ये से ही यह विधि संपन्न कराये ! अधिक जानकारी और कुम्भ,अर्क विवाह कराने के
लिए सम्पर्क करे !
हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारो में से एक विवाह (पाणिग्रहण ) संस्कार
कहलाता है जैसे कोई बालक जन्म लेकर इस सृष्टि का अवलोकन करता है ठीक उसी प्रकार नव
युगल विवाह संस्कार के बंधन में बंध कर जीवन के वास्तबिक सत्य व रहस्यों का अवलोकन
करते है परन्तु आज के समय में सही उम्र में विवाह हो जाना एवं मन के अनुकल जीवन
साथी का मिलना एक अत्यंत चुनौती पूर्ण कार्य है आज के माता पिता एवं नवयुगल की इस
चिंता को ध्यान में रखते हुए अचूक तंत्र ज्योतिष प्रयोगो की इस श्रेणी में शीघ्र
विवाह के लिए उपयोगी कुछ तंत्र ज्योतिष प्रयोग नीचे दिए जा रहे है आशा करते है
हमारे मित्रगण , युवा बर्ग की इस जटिल समस्या को समझते हुए अधिक से अधिक लाईक और शेयर
करके ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाएंगे -
प्रयोग (१ ) - विवाह के योग्य हो जाने पर भी किसी कन्या का विवाह न हो रहा हो तो वह किसी कन्या के विवाह में जाकर उसके हाथ में लगायी जा रही मेहंदी को अपने हाथो में भी लगवाये इससे शीघ्र विवाह का योग बनता है |
प्रयोग (२ ) - सफ़ेद खरगोश घर में होने से घर के बच्चो का विवाह शीघ्र होता है |
प्रयोग (३) - जन्म कुंडली में मंगलदोष होने पर सुन्दरकाण्ड का पाठ मंगलदोष शांति बिधि कराने से शीघ्र विवाह एवं अनुकूल जीवनसाथी प्राप्त होता है |
प्रयोग (४) -विवाह योग्य कन्या को हल्दी युक्त जल से नहाना चाईए इससे विवाह के योग शीघ्र बनने लगते है |
प्रयोग (५) - कन्या के लिए वर की तलाश में जाते समय यदि कन्या अपने माता - पिता को खुले वालो में खड़े होकर मिष्ठान्न खिलाये तो सम्बन्ध अस्वीकार की सम्भावनाये कम हो जाती है |
प्रयोग (६) - जिसका विवाह हो रहा हो उसके वस्त्र पहनने से भी विवाह की रुकावटे काम हो जाती है |
प्रयोग (७) -शुक्रवार की रात आठ छुआरे जल में उवाल कर जल सहित सोते समय रात्रि में अपने पास रखे एवं शनिवार की सुबह उन्हें बहते जल में प्रबाहित करे शीघ्र विवाह के लिए यह एक विशेष प्रयोग है |
प्रयोग (१ ) - विवाह के योग्य हो जाने पर भी किसी कन्या का विवाह न हो रहा हो तो वह किसी कन्या के विवाह में जाकर उसके हाथ में लगायी जा रही मेहंदी को अपने हाथो में भी लगवाये इससे शीघ्र विवाह का योग बनता है |
प्रयोग (२ ) - सफ़ेद खरगोश घर में होने से घर के बच्चो का विवाह शीघ्र होता है |
प्रयोग (३) - जन्म कुंडली में मंगलदोष होने पर सुन्दरकाण्ड का पाठ मंगलदोष शांति बिधि कराने से शीघ्र विवाह एवं अनुकूल जीवनसाथी प्राप्त होता है |
प्रयोग (४) -विवाह योग्य कन्या को हल्दी युक्त जल से नहाना चाईए इससे विवाह के योग शीघ्र बनने लगते है |
प्रयोग (५) - कन्या के लिए वर की तलाश में जाते समय यदि कन्या अपने माता - पिता को खुले वालो में खड़े होकर मिष्ठान्न खिलाये तो सम्बन्ध अस्वीकार की सम्भावनाये कम हो जाती है |
प्रयोग (६) - जिसका विवाह हो रहा हो उसके वस्त्र पहनने से भी विवाह की रुकावटे काम हो जाती है |
प्रयोग (७) -शुक्रवार की रात आठ छुआरे जल में उवाल कर जल सहित सोते समय रात्रि में अपने पास रखे एवं शनिवार की सुबह उन्हें बहते जल में प्रबाहित करे शीघ्र विवाह के लिए यह एक विशेष प्रयोग है |