शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

*चंद्र ग्रहण*


*चंद्र ग्रहण*


27-28 जुलाई 2018 आषाढ़ पूर्णिमा ( *गुरु पूर्णिमा*) के दिन खग्रास यानी पूर्ण चंद्रग्रहण होने जा रहा है। यह ग्रहण कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा और बड़ा चंद्रग्रहण है। इसकी पूर्ण अवधि 3 घंटा 55 मिनट होगी। यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा। इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान एक अवस्था में पहुंचकर चंद्रमा का रंग रक्त की तरह लाल दिखाई देने लगेगा। यह एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है।
*खग्रास चंद्रग्रहण*
यह खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में लग रहा है। इसलिए जिन लोगों का जन्म उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और जन्म राशि मकर या लग्न मकर है उनके लिए ग्रहण अशुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ, वृषभ, कर्क, कन्या और धनु राशि के लिए ग्रहण मध्यम फलदायी तथा मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा।
*ग्रहण कब से कब तक*
ग्रहण 27 जुलाई की मध्यरात्रि से प्रारंभ होकर 28 जुलाई को तड़के समाप्त होगा।
*स्पर्श* : रात्रि 11 बजकर 54 मिनट
*सम्मिलन* : रात्रि 1 बजे
*मध्य* : रात्रि 1 बजकर 52 मिनट
*उन्मीलन* : रात्रि 2 बजकर 44 मिनट
*मोक्ष* : रात्रि 3 बजकर 49 मिनट
*ग्रहण का कुल पर्व काल* : 3 घंटा 55 मिनट

*सूतक कब प्रारंभ होगा*
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक आषाढ़ पूर्णिमा शुक्रवार दिनांक 27 जुलाई को ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटे पहले लग जाएगा। यानी 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा। सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है। रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां सूतक के दौरान खाना-पीना कर सकती हैं। सूतक प्रारंभ होने से पहले पके हुए भोजन, पीने के पानी, दूध, दही आदि में तुलसी पत्र या कुशा डाल दें। इससे सूतक का प्रभाव इन चीजों पर नहीं होता।
*ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें*
*ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।

*ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। वैसे यह ग्रहण मध्यरात्रि से लेकर तड़के के बीच होगा इसलिए धरती के अधिकांश देशों के लोग निद्रा में होते हैं।
*ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
*ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।
*ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।
*ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।
*ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।
 
*गर्भवती स्त्रियां क्या करें*
ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।

*साधक क्या करें*
साधक अपने गुरु के द्वारा कोई गुप्त मंत्र प्राप्त करें और उसकी साधना करें ग्रहण काल में की गई साधना की सिद्धि का फल अतिशीघ्र मिलता है|

🕎🕉️🚩जय माता दी🚩🕉️🕎

मंगलवार, 24 जुलाई 2018

अंग फडकने से लगा सकते हैं भावी घटनाओं का अंदाजा


समुद्र शास्त्र के अनुसार इंसान का शरीर बेहद संवेदनशील होता है और उसके पास ऐसी ताकत है जो होने वाली घटना को पहले ही भांप ले। हो सकता है आपको यकीन ना हो लेकिन समुद्र शास्त्र की सहायता से आप इंसान के फड़कते हुए अंगों को जानकर उसके साथ भविष्य में होने वाली घटना को जान सकते हैं।



1. समुद्र शास्त्र के अनुसार पुरुष के शरीर का अगर बायां भाग फड़कता है तो भविष्य में उसे कोई दुखद घटना झेलनी पड़ सकती है। वहीं अगर उसके शरीर के दाएं भाग में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई बड़ी खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। जबकि महिलाओं के मामले में यह उलटा है, यानि उनके बाएं हिस्से के फड़कने में खुशखबरी और दाएं हिस्से के फड़कने पर बुरी खबर सुनाई दे सकती है।

अंग फडकने से लगा सकते हैं भावी घटनाओं का अंदाजा

2. किसी व्यक्ति के माथे पर अगर हलचल होती है तो उसे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है वहीं कनपटी के पास फड़कन पर धन लाभ होता है।

3. अगर व्यक्ति की दाईं आंख फड़कती है तो यह इस बात का संकेत है कि उसकी सारी इच्छाएं पूरी होने वाली हैं और अगर उसकी बाईं आंख में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई अच्छी खबर मिल सकती है। लेकिन अगर दाईं आंख बहुत देर या दिनों तक फड़कती है तो यह लंबी बीमारी की तरफ इशारा करता है।

4. अगर इंसान के दोनों गाल एक साथ फड़कते हैं तो इससे धन लाभ की संभावना बढ़ जाती है।

5. अगर किसी इंसान के होंठ फड़क रहे है तो इसका अर्थ है उसके जीवन में नया दोस्त आने वाला है।

6. अगर आपका दाया कन्धा फड़कता है तो यह इस बात का संकेत है कि आपको अत्याधिक धन लाभ होने वाला है। वहीं बाएं कंधे के फड़कने का संबंध जल्द ही मिलने वाली सफलता से है। परंतु अगर आपके दोनों कंधे एक साथ फड़कते हैं तो यह किसी के साथ आपकी बड़ी लड़ाई को दर्शाता है।

7. अगर आपकी हथेली में हलचल होती है तो यह यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आप जल्द ही किसी बड़ी समस्या में घिरने वाले हैं और अगर अंगुलियां फड़कती है तो यह इशारा करता है कि किसी पुराने दोस्त से आपकी मुलाकात होने वाली है।

8. अगर आपकी दाई कोहनी फड़कती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि भविष्य में आपकी किसी से साथ बड़ी लड़ाई होने वाली है। लेकिन अगर बाईं कोहनी में फड़कन होती है तो यह बताता है कि समाज में आपकी प्रतिष्ठा और ओहदा बढ़ने वाला है     

9. पीठ के फड़कने का अर्थ है कि आपको बहुत बड़ी समस्याओं को झेलना पड़ सकता है।

10. दाई जांघ फड़कती है तो यह इस बात को दर्शाता है कि आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा और बाईं जांघ के फड़कने का संबंध धन लाभ से है।

तिल से जानें लडकियों का स्वभाव







हमारे शरीर पर जन्म से जो काले-काले और छोटे-छोटे निशान होते हैं, उन्हें तिल कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार इन तिलों का स्वभाव और भविष्य पर सीधा असर होता है।
ये व्यक्ति के भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का संकेत भी देते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल की स्थिति, उनके रंग और आकृति आदि के अध्ययन से जातक के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति के शरीर पर बारह से ज्यादा तिल होना अच्छा नहीं माना जाता। बारह से कम तिलों का होना शुभ फलदायक है।

तिल से जानें लडकियों का स्वभाव

भौंहों पर तिल-
यदि दोनों भौहों पर तिल हो तो जातक अक्सर यात्रा करता रहता है। दाहिनी पर तिल सुखमय और बायीं पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत देता है।

आंख की पुतली पर तिल-
दायीं पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते हैं। बायीं पुतली पर तिल वालों के विचार कुत्सित होते हैं। पुतली पर तिल वाले लोग सामान्यत: भावुक होते हैं।

पलकों पर तिल-
आंख की पलकों पर तिल हो तो जातक संवेदनशील होता है। दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।

आंख पर तिल-
दायीं आंख पर तिल स्त्री से मेल होने का एवं बायीं आंख पर तिल स्त्री से अनबन होने का आभास देता है।

ललाट पर तिल-
यदि लडकी या महीला के ललाट के मध्य भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है। ललाट या माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन वृद्धिकारक और बायीं तरफ का तिल घोर निराशापूर्ण जीवन का सूचक होता है।

कान पर तिल-
यदि किसी लडकी के कान पर तिल है तो अल्पायु होने का संकेत देता है।

नाक पर तिल-
यदि किसी महिला के नाक पर तिल हो तो प्रतिभासंपन्न और सुखी का प्रतिक है। नाक पर तिल उनके सौभाग्यशाली होने का सूचक है।

होंठ पर तिल-
होंठ पर तिल वाले बहुत प्रेमी हृदय होते हैं। यदि तिल होंठ के नीचे हो तो गरीबी छाई रहती है।

मुंह पर तिल-
मुखमंडल के आसपास का तिल स्त्री तथा पुरुष दोनों के सुखी संपन्न एवं सज्जन होने के सूचक होते हैं। मुंह पर तिल व्यक्ति को भाग्य का धनी बनाता है। उसका जीवनसाथी सज्जन होता है।

गाल पर तिल-
गाल पर लाल तिल शुभ फल देता है। बाएं गाल पर कृष्ण वर्ण तिल व्यक्ति को निर्धन, किंतु दाएं गाल पर धनी बनाता है।

ठोड़ी पर तिल-
जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है।


कंधों पर तिल-
दाएं कंधे पर तिल का होना दृढ़ता तथा बाएं कंधे पर तिल का होना तुनकमिजाजी का सूचक होता है।

दाहिनी भुजा पर तिल-
ऐसे तिल वाला जातक प्रतिष्ठित व बुद्धिमान होता है। लोग उसका आदर करते हैं।

बायीं भुजा पर तिल-
बायीं भुजा पर तिल हो तो व्यक्ति झगड़ालू होता है। उसका सर्वत्र निरादर होता है। उसकी बुद्धि कुत्सित होती है।

कोहनी पर तिल-
कोहनी पर तिल का पाया जाना विद्वता का सूचक है।

हाथों पर तिल-
जिसके हाथों पर तिल होते हैं वह चालाक होता है। गुरु क्षेत्र में तिल हो तो सन्मार्गी होता है। दायीं हथेली पर तिल हो तो बलवान और दायीं हथेली के पृष्ठ भाग में हो तो धनवान होता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक खर्चीला तथा बायीं हथेली के पृष्ठ भाग पर तिल हो तो कंजूस होता है।

अंगूठे पर तिल-
अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।
तर्जनी पर तिल-
जिसकी तर्जनी पर तिल हो, वह विद्यावान, गुणवान और धनवान किंतु शत्रुओं से पीडि़त होता है।
मध्यमा पर तिल-
मध्यमा पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।
अनामिका पर तिल-
जिसकी अनामिका पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी और पराक्रमी होता है।
कनिष्ठा पर तिल-
कनिष्ठा पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।
गले पर तिल-
गले पर तिल वाला जातक आरामतलब होता है। गले पर सामने की ओर तिल हो तो जातक के घर मित्रों का जमावड़ा लगा रहता है। मित्र सच्चे होते हैं। गले के पृष्ठ भाग पर तिल होने पर जातक कर्मठ होता है।

छाती पर तिल-
छाती पर दाहिनी ओर तिल का होना शुभ होता है। ऐसी स्त्री पूर्ण अनुरागिनी होती है। पुरुष भाग्यशाली होते हैं। शिथिलता छाई रहती है। छाती पर बायीं ओर तिल रहने से भार्या पक्ष की ओर से असहयोग की संभावना बनी रहती है। छाती के मध्य का तिल सुखी जीवन दर्शाता है। यदि किसी स्त्री के हृदय पर तिल हो तो वह सौभाग्यवती होती है।

कमर पर तिल - यदि किसी व्यक्ति की कमर पर तिल होता है तो उस व्यक्ति की जिंदगी सदा परेशानियों से घिरी रहती है।

पीठ पर तिल - पीठ पर तिल हो तो जातक भौतिकवादी, महत्वाकांक्षी एवं रोमांटिक हो सकता है। वह भ्रमणशील भी हो सकता है। ऐसे लोग धनोपार्जन भी खूब करते हैं और खर्च भी खुलकर करते हैं। वायु तत्व के होने के कारण ये धन संचय नहीं कर पाते।

पेट पर तिल - पेट पर तिल हो तो व्यक्ति चटोरा होता है। ऐसा व्यक्ति भोजन का शौकीन व मिष्ठान्न प्रेमी होता है। उसे दूसरों को खिलाने की इच्छा कम रहती है।

घुटनों पर तिल - दाहिने घुटने पर तिल होने से गृहस्थ जीवन सुखमय और बायें पर होने से दांपत्य जीवन दुखमय होता है।

पैरों पर तिल - पैरों पर तिल हो तो जीवन में भटकाव रहता है। ऐसा व्यक्ति यात्राओं का शौकीन होता है। दाएं पैर पर तिल हो तो यात्राएं सोद्देश्य और बाएं पर हो तो निरुद्देश्य होती हैं।

शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

शादी शुदा जिंदगी पर पडने वाले असर

है। आज हम अपने इस अंक में मंगल का हमारे शादी शुदा जिंदगी पर पडने वाले असर की बात करेंगे।
📯 मंगल 📯
ज्योतिष में मंगल की बात करे तो ये पुरुषत्व की पहचान है, पुरुष ऊर्जा का द्योतक है। स्त्री के लिए ये परपुरुष है, वो पुरुष जो कानूनी रूप से आपके पति नही हैं, लेकिन फिर भी पति का स्थान ले सकते हैं। मंगल स्त्रियों को इसीलिए आकर्षित करता है । मंगल काम भावना की अधिकता है, जिसके अपूर्ण होने पर दूसरे हर विकृति आ जाती है (यही मांगलिक दोष का मुख्य आधार है, इस विषय पर वृहद चर्चा अपने दूसरे अंग में करेंगे) मंगल आपकी ऊर्जा है। ये ही आपकी कामाग्नि का कारण है,जिसके कारन आपमे कामसुख की प्राप्ति की भावना जागृत होती है। शादी -शुदा जिंदगी की बात करें तो,
इसी काम सुख (मंगल) के कारण ही आप किसी पर अधिकार (सूर्य) जताने की कोशिस करते हो, जिसके पूर्ण होने पर सुख (शुक्र) एवं आपसी सहयोग (चंद्र) बढ़ता है, एवं शादी शुदा जिंदगी में अनुशाशन(शनि) लाता है, जिसके कारण आपका व्यवहार (बुद्ध) स्वतः ठीक हो जाता है, एवं बाहरी प्रभाव (राहू) का कोई स्थान बचता ही नही है, एवं जब आपको ये सब वस्तु सुलभ हो तो फिर कामसुख से मन क्यों उचट (केतु) होगा। जरा सोचिए कि क्यों मंगलीक स्तिति को इतना महत्व दिया जाता है। अतः मंगल सुखद शादी शुदा जिंदगी के सुख (शुक्र) के लिए सर्वाधिक जरूरी ग्रहों में से एक है। कई बार तो ये सर्वाधिक जरूरी है।
1. अगर मंगल आपके सप्तम भाव का अधिकारी है अक्सर शादी जल्दी हो जाती है, लेकिन अगर लग्न वृष है तो आपके साथी अक्सर आप पर हावी रहता है खासकर के तब जब आप पुरुष हो, एवं अगर लग्न तुला है तो दोनो एक दूसरे का सम्मान करते हो, अहमियत समझते हो लेकिन शुरुआत के दिनों में उतनी अछि नही बनती है, मगर बच्चे होने के बाद ज्यादा जिम्मेदार हो जाते हो आप।
अगर आप तुला लग्न स्त्री हो तो फिर शादी से पहले आपके कई मित्र होते हैं ,जिसके कारण कई एक बार पति शक करता है। कोशस करें कि भावनाओ में बहकर पहले के यादों में न रहे, एवं ऐसी किसी पहलु से बचे।
वैसे दूसरे ग्रहों के प्रभाव से जानेंगे कि शादी कितनी जल्दी या देर होती है।



2. मंगल अगर कुंडली मे 2,4,7,8,12 भाव मे स्थित हो तो मांगलिक स्थिति बनाती है, ऐसे में ये आपमे काम भावना की अधिकता बढ़ा देती है और संतुष्टि नही मिलने पर फिर आपमे बाहर से संतुष्टि खोजने का चाह बढा देता है अगर किसी भी तरह से राहु से सम्वन्ध बन जाये अगर इसका। अगर सूर्य से संबंध बने तो इसके पूर्ति के लिए जोर जबर्दशती तक कर सकता है जातक जो मारपीट में बदल सकता है।
अगर मंगल चतुर्थ भाव मे है एवं सप्तम स्थान में शनि हो तो स्थिति खराब हो जाता है। आपका साथी आप पर अक्सर हावी रहता है ओर आप शादी वाले संबंध से छुटकारा भी नही प्राप्त कर पाते हो।
अगर आपका मंगल सप्तम में है एवम शनि आपके दसम में बैठा है तो तलाक अवश्य होता है , जिसका मुख्य कारण काम सुख के प्राप्ति के लिए मारपीट एक बड़ा कारण बनता है।
अगर ये मंगल शुक्र के साथ हो, तो व्यक्ति काम सुख के तृप्ति के लिए कई तरीका अपनाता है जो साथी के लिए कष्टदायक सिद्ध होता है।
मांगलिक स्थिति पर एक विशेष लेख जल्द ही अलग से लिखेंगे।
3. अगर आपका मंगल आपके सप्तमेश से सप्तम में है तो
क) अगर आपका सप्तमेश शनि है तो आप अपने साथी से मनमुटाव नही करना चाहते हो लेकिन चाह कर भी ऐसा नही होता है। अगर सूर्य हो तो फिर ये आपके लिए अपने वजूद को ही समझने की लड़ाई हो जाती है।
ख) अगर आपका सप्तमेश चंद्र है तो आपसी सहयोग एवं सद्भावना अवश्य होती है। लड़िए झगरिये लेकिन एक दूजे के लिए प्यार होता है।
अगर आपका सप्तमेश गुरु बुद्ध या शुक्र है तो ये काफी अच्छा माना जाता है ऐसे अवसर पर।
4. अगर आपका सप्तमेश से मंगल 6/8 का संबंध बनाए तो इसका मतलब हुआ कि आप मे ओर आपके साथी में मारपीट की घटना आम हो जाती है।
ऐसे में अगर
१)शनि सप्तमेश को देख रहा हो तो फिर एक दूसरे से बिछुड़ने का अवसर दे देता है।
२) अगर शनि 7वे भाव को देखे तो तलाक योग बना देता है, यही अगर गुरु इस शनि एवं 7वे भाव दोनो को देखे तो फिर तलाक हुए बिना बिछड़ना पड़ता है। दोनो एक दूसरे से बिना तलाक दूर रहते हैं
३) अगर शनि सप्तमेस एवं 7वे भाव दोनो को देखे तो फिर पक्का तलाक होता है।
अगर इस किसी भी स्थिति में राहु सप्तमेश को देखे या उसके साथ हो तो फिर ये समस्या किसी बाहरी दखल के कारण होता है।
अगर यही रिश्ता केतु के कारण हो तो फिर ये दिक्कत एवं मारपीट इसीलिएहोती है क्यूकी आपका साथी काम सुख के लिए रिश्ता बनाने से मना कर देता है।
5. अगर मंगल आपके कुंडली मे बुद्ध एवं राहु के प्रभाव में है तो फिर आपमे बिस्तर सुख की कामना तो होती है लेकिन आप बिस्तर पर उतने अच्छे नही होते हो और सिर्फ इसीलिए बाहर रिश्ता तलाशने लग जाते हो।
याद रखिये मंगल को दाम्पत्य सुख के लिए खराब होना पीड़ादायक माना जाता है, शुरुआत में ही मैंने बताने का कोशिश किया कि आखिर कैसे मंगल के कारण ही वैवाहिक सुख लिए दूसरे सारे ग्रह भी खराब होने लग जाते हैं।
मंगल की विबाह के भाव मे युति या दृष्टि के कारण विलंब विबाह होने का संभावना बढ़ जाता है, एवं विवाह संपन्न होने में भी अवरोध बढ़ जाता है, एवं विवाह के बाद भी दाम्पत्य जीवन मे विवाद होता है। मंगल के दुष्प्रभाव के कारण पति पत्नी में मारपीट एवं हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति में दाम्पत्य जीवन नरकतुल्य हो जाता है।
उपाय :- मंगल के बुरे प्रभाव से बचाव के लिए पति पत्नी दोनों एक सा ही चांदी का आभूषण जरूर धारण करें। आप गले मे चांदी के जंजीर या हाथ मे चांदी का ब्रेसलेट धारण कर सकते हैं। पति पत्नी में जिसका स्वभाव उग्र हो उन्हें मिर्च एवं तीखी वस्तु का सेवन करना बंद कर देने चाहिए। अगर आप मांसाहार हो तो कृपया अभी अपने इस आदत से तौबा कर लें।
याद रखे संयम एवं एक दूसरे के भावना का सम्मान ही सुखी वैवाहिक जीवन की कुंजी है।
आशा है शिव आप सबका कल्याण करेंगे।  🥁🥁हर हर महादेव🥁🥁