है। आज हम अपने इस अंक में मंगल का हमारे शादी
शुदा जिंदगी पर पडने वाले असर की बात करेंगे।
📯 मंगल 📯
ज्योतिष में मंगल की बात करे तो ये पुरुषत्व की
पहचान है, पुरुष
ऊर्जा का द्योतक है। स्त्री के लिए ये परपुरुष है, वो पुरुष जो कानूनी रूप से आपके पति नही हैं, लेकिन फिर भी पति का स्थान ले सकते
हैं। मंगल स्त्रियों को इसीलिए आकर्षित करता है । मंगल काम भावना की अधिकता है, जिसके अपूर्ण होने पर दूसरे हर विकृति
आ जाती है (यही मांगलिक दोष का मुख्य आधार है, इस विषय पर वृहद चर्चा अपने दूसरे अंग में करेंगे) मंगल आपकी ऊर्जा
है। ये ही आपकी कामाग्नि का कारण है,जिसके कारन आपमे कामसुख की प्राप्ति की भावना जागृत होती है। शादी
-शुदा जिंदगी की बात करें तो,
इसी काम सुख (मंगल) के कारण ही आप किसी पर
अधिकार (सूर्य) जताने की कोशिस करते हो, जिसके पूर्ण होने पर सुख (शुक्र) एवं आपसी सहयोग (चंद्र) बढ़ता है, एवं शादी शुदा जिंदगी में अनुशाशन(शनि)
लाता है, जिसके कारण आपका
व्यवहार (बुद्ध) स्वतः ठीक हो जाता है, एवं बाहरी प्रभाव (राहू) का कोई स्थान बचता ही नही है, एवं जब आपको ये सब वस्तु सुलभ हो तो
फिर कामसुख से मन क्यों उचट (केतु) होगा। जरा सोचिए कि क्यों मंगलीक स्तिति को
इतना महत्व दिया जाता है। अतः मंगल सुखद शादी शुदा जिंदगी के सुख (शुक्र) के लिए
सर्वाधिक जरूरी ग्रहों में से एक है। कई बार तो ये सर्वाधिक जरूरी है।
1. अगर
मंगल आपके सप्तम भाव का अधिकारी है अक्सर शादी जल्दी हो जाती है, लेकिन अगर लग्न वृष है तो आपके साथी
अक्सर आप पर हावी रहता है खासकर के तब जब आप पुरुष हो, एवं अगर लग्न तुला है तो दोनो एक दूसरे
का सम्मान करते हो, अहमियत
समझते हो लेकिन शुरुआत के दिनों में उतनी अछि नही बनती है, मगर बच्चे होने के बाद ज्यादा
जिम्मेदार हो जाते हो आप।
अगर आप तुला लग्न स्त्री हो तो फिर शादी से
पहले आपके कई मित्र होते हैं ,जिसके
कारण कई एक बार पति शक करता है। कोशस करें कि भावनाओ में बहकर पहले के यादों में न
रहे, एवं ऐसी किसी
पहलु से बचे।
वैसे दूसरे ग्रहों के प्रभाव से जानेंगे कि
शादी कितनी जल्दी या देर होती है।
2. मंगल
अगर कुंडली मे 2,4,7,8,12
भाव मे स्थित हो तो मांगलिक स्थिति बनाती है, ऐसे में ये आपमे काम भावना की अधिकता बढ़ा देती है और संतुष्टि नही
मिलने पर फिर आपमे बाहर से संतुष्टि खोजने का चाह बढा देता है अगर किसी भी तरह से
राहु से सम्वन्ध बन जाये अगर इसका। अगर सूर्य से संबंध बने तो इसके पूर्ति के लिए
जोर जबर्दशती तक कर सकता है जातक जो मारपीट में बदल सकता है।
अगर मंगल चतुर्थ भाव मे है एवं सप्तम स्थान में
शनि हो तो स्थिति खराब हो जाता है। आपका साथी आप पर अक्सर हावी रहता है ओर आप शादी
वाले संबंध से छुटकारा भी नही प्राप्त कर पाते हो।
अगर आपका मंगल सप्तम में है एवम शनि आपके दसम
में बैठा है तो तलाक अवश्य होता है , जिसका मुख्य कारण काम सुख के प्राप्ति के लिए मारपीट एक बड़ा कारण
बनता है।
अगर ये मंगल शुक्र के साथ हो, तो व्यक्ति काम सुख के तृप्ति के लिए
कई तरीका अपनाता है जो साथी के लिए कष्टदायक सिद्ध होता है।
मांगलिक स्थिति पर एक विशेष लेख जल्द ही अलग से
लिखेंगे।
3. अगर
आपका मंगल आपके सप्तमेश से सप्तम में है तो
क) अगर आपका सप्तमेश शनि है तो आप अपने साथी से
मनमुटाव नही करना चाहते हो लेकिन चाह कर भी ऐसा नही होता है। अगर सूर्य हो तो फिर
ये आपके लिए अपने वजूद को ही समझने की लड़ाई हो जाती है।
ख) अगर आपका सप्तमेश चंद्र है तो आपसी सहयोग
एवं सद्भावना अवश्य होती है। लड़िए झगरिये लेकिन एक दूजे के लिए प्यार होता है।
अगर आपका सप्तमेश गुरु बुद्ध या शुक्र है तो ये
काफी अच्छा माना जाता है ऐसे अवसर पर।
4. अगर
आपका सप्तमेश से मंगल 6/8 का
संबंध बनाए तो इसका मतलब हुआ कि आप मे ओर आपके साथी में मारपीट की घटना आम हो जाती
है।
१)शनि सप्तमेश को देख रहा हो तो फिर एक दूसरे
से बिछुड़ने का अवसर दे देता है।
२) अगर शनि 7वे भाव को देखे तो तलाक योग बना देता है, यही अगर गुरु इस शनि एवं 7वे भाव दोनो को देखे तो फिर तलाक हुए
बिना बिछड़ना पड़ता है। दोनो एक दूसरे से बिना तलाक दूर रहते हैं
३) अगर शनि सप्तमेस एवं 7वे भाव दोनो को देखे तो फिर पक्का तलाक
होता है।
अगर इस किसी भी स्थिति में राहु सप्तमेश को
देखे या उसके साथ हो तो फिर ये समस्या किसी बाहरी दखल के कारण होता है।
अगर यही रिश्ता केतु के कारण हो तो फिर ये
दिक्कत एवं मारपीट इसीलिएहोती है क्यूकी आपका साथी काम सुख के लिए रिश्ता बनाने से
मना कर देता है।
5. अगर
मंगल आपके कुंडली मे बुद्ध एवं राहु के प्रभाव में है तो फिर आपमे बिस्तर सुख की
कामना तो होती है लेकिन आप बिस्तर पर उतने अच्छे नही होते हो और सिर्फ इसीलिए बाहर
रिश्ता तलाशने लग जाते हो।
याद रखिये मंगल को दाम्पत्य सुख के लिए खराब
होना पीड़ादायक माना जाता है, शुरुआत
में ही मैंने बताने का कोशिश किया कि आखिर कैसे मंगल के कारण ही वैवाहिक सुख लिए
दूसरे सारे ग्रह भी खराब होने लग जाते हैं।
मंगल की विबाह के भाव मे युति या दृष्टि के
कारण विलंब विबाह होने का संभावना बढ़ जाता है, एवं विवाह संपन्न होने में भी अवरोध बढ़ जाता है, एवं विवाह के बाद भी दाम्पत्य जीवन मे
विवाद होता है। मंगल के दुष्प्रभाव के कारण पति पत्नी में मारपीट एवं हिंसा की
स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति में दाम्पत्य जीवन नरकतुल्य हो जाता है।
उपाय :- मंगल के बुरे प्रभाव से बचाव के लिए
पति पत्नी दोनों एक सा ही चांदी का आभूषण जरूर धारण करें। आप गले मे चांदी के
जंजीर या हाथ मे चांदी का ब्रेसलेट धारण कर सकते हैं। पति पत्नी में जिसका स्वभाव
उग्र हो उन्हें मिर्च एवं तीखी वस्तु का सेवन करना बंद कर देने चाहिए। अगर आप
मांसाहार हो तो कृपया अभी अपने इस आदत से तौबा कर लें।
याद रखे संयम एवं एक दूसरे के भावना का सम्मान
ही सुखी वैवाहिक जीवन की कुंजी है।
आशा है शिव आप सबका कल्याण करेंगे। 🥁🥁हर हर महादेव🥁🥁
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