गुंजा एक फली का बीज है। इसको धुंघची, रत्ती आदि नामों से जाना जाता है। इसकी बेल काफी कुछ मटर की तरह ही लगती है किन्तु अप
यह तंत्र शास्त्र में जितनी मशहूर है उतनी ही आयुर्वेद में भी। आयुर्वेद
में श्वेत गूंजा का ही अधिक प्रयोग होता है औषध रूप में साथ ही इसके मूल का
भी जो मुलैठी के समान ही स्वाद और गुण वाली होती है। इसीकारण कई लोग
मुलैठी के साथ इसके मूल की भी मिलावट कर देते हैं।
वहीं रक्त गूंजा
बेहद विषैली होती है और उसे खाने से उलटी दस्त पेट में मरोड़ और मृत्यु तक
सम्भव है। आदिवासी क्षेत्रों में पशु पक्षी मारने और जंगम विष निर्माण में
अब भी इसका प्रयोग होता है।
गुंजा की तीन प्रजातियां मिलती हैं:-
1• रक्त गुंजा: लाल काले रंग की ये प्रजाति भी तीन तरह की मिलती है जिसमे
लाल और काले रंगों का अनुपात 10%, 25% और 50% तक भी मिलता है।
ये मुख्यतः तंत्र में ही प्रयोग होती है।
श्वेत गुंजा • श्वेत गुंजा में भी एक सिरे पर कुछ कालिमा रहती है। यह
आयुर्वेद और तंत्र दोनों में ही सामान रूप से प्रयुक्त होती है। ये लाल की
अपेक्षा दुर्लभ होती है।
काली गुंजा: काली गुंजा दुर्लभ होती है,
आयुर्वेद में भी इसके प्रयोग लगभग नहीं हैं हाँ किन्तु तंत्र प्रयोगों में
ये बेहद महत्वपूर्ण है।
इन तीन के अलावा एक अन्य प्रकार की गुंजा
पायी जाती है पीली गुंजा ये दुर्लभतम है क्योंकि ये कोई विशिष्ट प्रजाति
नहीं है किन्तु लाल और सफ़ेद प्रजातियों में कुछ आनुवंशिक विकृति होने पर
उनके बीज पीले हो जाते हैं। इस कारण पीली गूंजा कभी पूर्ण पीली तो कभी कभी
लालिमा या कालिमा मिश्रित पीली भी मिलती है।
इस चमत्कारी वनस्पति गुंजा के कुछ प्रयोग:-
1• सम्मान प्रदायक :
शुद्ध जल (गंगा का, अन्य तीर्थों का जल या कुएं का) में गुंजा की जड़ को
चंदन की भांति घिसें। अच्छा यही है कि किसी ब्राह्मण या कुंवारी कन्या के
हाथों से घिसवा लें। यह लेप माथे पर चंदन की तरह लगायें। ऐसा व्यक्ति
सभा-समारोह आदि जहां भी जायेगा, उसे वहां विशिष्ट सम्मान प्राप्त होगा।
2• कारोबार में बरकत
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6
लाल गुंजा लाल कपड़े में बांधकर प्रात: 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच में
किसी सुनसान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उसार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर
उसमें दबा दें। ऐसा 11 बुधवार करें। दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए।
इस प्रयोग से कारोबार में बरकत होगी, घर में धन रूकेगा।
3"• ज्ञान-बुद्धि वर्धक :
(क) गुंजा-मूल को बकरी के दूध में घिसकर हथेलियों पर लेप करे, रगड़े कुछ
दिन तक यह प्रयोग करते रहने से व्यक्ति की बुद्धि, स्मरण-शक्ति तीव्र होती
है, चिंतन, धारणा आदि शक्तियों में प्रखरता व तीव्रता आती है।
(ख)
यदि सफेद गुंजा के 11 या 21 दाने अभिमंत्रित करके विद्यार्थियों के कक्ष
में उत्तर पूर्व में रख दिया जाये तो एकाग्रता एवं स्मरण शक्ति में लाभ
होता है।
4• वर-वधू के लिए :
विवाह के समय लाल गुंजा वर के
कंगन में पिरोकर पहनायी जाती है। यह तंत्र का एक प्रयोग है, जो वर की
सुरक्षा, समृद्धि, नजर-दोष निवारण एवं सुखद दांपत्य जीवन के लिए है। गुंजा
की माला आभूषण के रूप में पहनी जाती है।
5• पुत्रदाता :
शुभ
मुहुर्त में श्वेत गुंजा की जड़ लाकर दूध से धोकर, सफेद चन्दन पुष्प से
पूजा करके सफेद धागे में पिरोकर। “ऐं क्षं यं दं” मंत्र के ग्यारह हजार जाप
करके स्त्री या पुरूष धारण करे तो संतान सुख की प्राप्ती होती है।
6• वशीकरण -
(क) आप जिस व्यक्ति का वशीकरण करना चाहते हों उसका चिंतन करते हुए मिटटी
का दीपक लेकर अभिमंत्रित गुंजा के ५ दाने लेकर शहद में डुबोकर रख दें. इस
प्रयोग से शत्रु भी वशीभूत हो जाते हैं. यह प्रयोग ग्रहण काल, होली,
दीवाली, पूर्णिमा, अमावस्या की रात में यह प्रयोग में करने से बहुत फलदायक
होता है.
(ख) गुंजा के दानों को अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति के
पहने हुए कपड़े या रुमाल में बांधकर रख दिया जायेगा वह वशीभूत हो जायेगा.
जब तक कपड़ा खोलकर गुंजा के दाने नहीं निकले जायेंगे वह व्यक्ति वशीकरण के
प्रभाव में रहेगा.
( गुंजा की माला गले में धारण करने से सर्वजन वशीकरण का प्रभाव होता है.
7• विद्वेषण में प्रयोग :
किसी दुष्ट, पर-पीड़क, गुण्डे तथा किसी का घर तोड़ने वाले के घर में लाल
गुंजा - रवि या मंगलवार के दिन इस कामना के साथ फेंक दिये जाये - 'हे गुंजा
! आप मेरे कार्य की सिद्धि के लिए इस घर-परिवार में कलह (विद्वेषण)
उत्पन्न कर दो' तो आप देखेंगे कि ऐसा ही होने लगता है।
8• विष-निवारण :
गुंजा की जड़ धो-सुखाकर रख ली जाये। यदि कोई व्यक्ति विष-प्रभाव से अचेत हो रहा हो तो उसे पानी में जड़ को घिसकर पिलायें।
इसको पानी में घिस कर पिलाने से हर प्रकार का विष उतर जाता है।
9• दिव्य दृष्टि :-
(क) अलौकिक तामसिक शक्तियों के दर्शन :
भूत-प्रेतादि शक्तियों के दर्शन करने के लिए मजबूत हृदय वाले व्यक्ति,
गुंजा मूल को रवि-पुष्य योग में या मंगलवार के दिन- शुद्ध शहद में घिस कर
आंखों में अंजन (सुरमा/काजल) की भांति लगायें तो भूत, चुडैल, प्रेतादि के
दर्शन होते हैं।
(ख) गुप्त धन दर्शन :
अंकोल या अंकोहर के
बीजों के तेल में गुंजा-मूल को घिस कर आंखों पर अंजन की तरह लगायें। यह
प्रयोग रवि-पुष्य योग में, रवि या मंगलवार को ही करें। इसको आंजने से
पृथ्वी में गड़ा खजाना तथा आस पास रखा धन दिखाई देता है।
10• शत्रु में भय उत्पन्न :
गुंजा-मूल (जड़) को किसी स्त्री के मासिक स्राव में घिस कर आंखों में सुरमे
की भांति लगाने से शत्रु उसकी आंखों को देखते ही भाग खड़े होते हैं।
11• शत्रु दमन प्रयोग :
यदि लड़ाई झगड़े की नौबत हो तो काले तिल के तेल में गुंजामूल को घिस कर, उस
लेप को सारे शरीर में मल लें। ऐसा व्यक्ति शत्रुओं को बहुत भयानक तथा सबल
दिखाई देगा। फलस्वरूप शत्रुदल चुपचाप भाग जायेगा।
12• रोग - बाधा
(क) कुष्ठ निवारण प्रयोग :
गुंजा मूल को अलसी के तेल में घिसकर लगाने से कुष्ठ (कोढ़) के घाव ठीक हो जाते हैं।
(ख)अंधापन समाप्त :
गुंजा-मूल को गंगाजल में घिसकर आंखों मे लगाने से आंसू बहुत आते हैं।नेत्रों की सफाई होती है आँखों का जाल कटता है।
देशी घी (गाय का) में घिस कर लगाते रहने से इन दोनों प्रयोगों से अंधत्व दूर हो जाता है।
(ग) वाजीकरण:
श्वेत गुंजा की जड को गाय के शुद्ध घृत में पीसकर लेप तैयार करें। यह लेप
शिश्न पर मलने से कामशक्ति की वृद्धि के साथ स्तंभन शक्ति में भी वृद्धि
होती है।
13: नौकरी में बाधा
राहु के प्रभाव के कारण व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो लाल गुंजा व सौंफ को लाल वस्त्र में बांधकर अपने कमरे में रखें।
**दुर्लभ काली गुंजा के कुछ प्रयोग:
1• काली गुंजा की विशेषता है कि जिस व्यक्ति के पास होती है, उस पर मुसीबत पड़ने पर इसका रंग स्वतः ही बदलने लगता है ।
2• दिवाली के दिन अपने गल्ले के नीचे काली गुंजा जंगली बेल के दाने डालने से व्यवसाय में हो रही हानि रूक जाती है।
3• दिवाली की रात घर के मुख्य दरवाज़े पर सरसों के तेल का दीपक जला कर
उसमें काली गुंजा के 2-4 दाने डाल दें। ऐसा करने पर घर सुरक्षित और समृद्ध
रहता है।
4• होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच
परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पाँचों गुन्जाओं को सिर के
ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
5• घर से अलक्ष्मी दूर करने का लघु प्रयोग-
ध्यानमंत्र :
ॐ तप्त-स्वर्णनिभांशशांक-मुकुटा रत्नप्रभा-भासुरीं ।
नानावस्त्र-विभूषितां त्रिनयनां गौरी-रमाभ्यं युताम् ।
दर्वी-हाटक-भाजनं च दधतीं रम्योच्चपीनस्तनीम् ।
नित्यं तां शिवमाकलय्य मुदितां ध्याये अन्नपूर्णश्वरीम् ॥
मन्त्र :
ॐ ह्रीम् श्रीम् क्लीं नमो भगवति माहेश्वरि मामाभिमतमन्नं देहि-देहि अन्नपूर्णों स्वाहा ।
विधि :
जब रविवार या गुरुवार को पुष्प नक्षत्र हो या नवरात्र में अष्टमी के दिन
या दीपावली की रात्रि या अन्य किसी शुभ दिन से इस मंत्र की एक माला
रुद्राक्ष माला से नित्य जाप करें । जाप से पूर्व भगवान श्रीगणेश जी का
ध्यान करें तथा भगवान शिव का ध्यान कर नीचे दिये ध्यान मंत्र से माता
अन्नपूर्णा का ध्यान करें ।
इस मंत्र का जाप दुकान में गल्ले में
सात काली गुंजा के दाने रखकर शुद्ध आसन, (कम्बल आसन, या साफ जाजीम आदि ) पर
बैठकर किया जाए तो व्यापार में आश्चर्यजनक लाभ महसूस होने गेगा ।
6• कष्टों से छुटकारे हेतु
यदि संपूर्ण दवाओं एवं डाक्टर के इलाज के बावजूद भी यदि घुटनों और पैरों
का दर्द दूर नहीं हो रहा हो तो रवि पुष्य नक्षत्र, शनिवार या शनि आमवस्या
के दिन यह उपाय करें। प्रात:काल नित्यक्रम से निवृत हो स्नानोपरांत लोहे की
कटोरी में श्रद्धानुसार सरसों का तेल भरें। 7 चुटकी काले तिल, 7 लोहे की
कील और 7 लाल और 7 काली गुंजा उसमें डाल दें। तेल में अपना मुंह देखने के
बाद अपने ऊपर से 7 बार उल्टा उसारकर पीपल के पेड़ के नीचे इस तेल का दीपक
जला दें 21 परिक्रमा करें और वहीं बैठकर 108 बार
ऊँ शं विधिरुपाय नम:।।
इस मंत्र का जाप करें। ऐसा 11 शनिवार करें। कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
पीली गुंजा:
1• पीले रंग की गुंजा के बीज ,हल्दी की गांठे, सात कौडियों की पूजा अर्चना
करके श्री लक्ष्मीनारायण भगवान के मंत्रों से अभिमंत्रित करके पूजा स्थान
में रखने से दाम्पत्य सुख एवं परिवार,मे एकता तथा आर्थिक व्यावसायिक
सिद्धि मिलती है
2• इसकी माला या ब्रेसलेट धारण करने से व्यक्ति का चित्त शांत रहता है, तनाव से मुक्ति मिलती है।
3• पीत गुंजा की माला गुरु गृह को अनुकूल करती है।
4• अनिद्रा से पीड़ित लोगों को इसकी माला धारण करने से लाभ मिलता है।
5• बड़ी उम्र के जो लोग स्वप्न में डरते हैं या जिन्हें अक्सर ये लगता है
की कोई उनका गला दबा रहा है उन्हें इसकी माला या ब्रेसलेट पहनना चाहिए।