👰 स्त्री क्या है ?💁
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे,तब उन्हें काफी समय लग गया । आज छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी भी अधूरी थी।
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे,तब उन्हें काफी समय लग गया । आज छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी भी अधूरी थी।
इसलिए देवदूत ने पूछा भगवन्, आप इसमें इतना समय क्यों ले रहे हो...?
भगवान ने जवाब दिया, "क्या तूने इसके सारे गुणधर्म (specifications) देखे हैं, जो इसकी रचना के लिए जरूरी हैं ?
१. यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है।
२. यह एक साथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है ।
३. यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टूटे हुये दिल के घाव भी भर सकती है ।
४. यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है।
५. इस में सबसे बड़ा "गुणधर्म" यह है कि बीमार होने पर भी अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।
देवदूत चकित रह गया और आश्चर्य से पूछा-
"भगवान ! क्या यह सब दो हाथों से कर पाना संभव है ?"
भगवान ने कहा यह स्टैंडर्ड रचना है।
(यह गुणधर्म सभी में है )
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा, "भगवान यह तो बहुत नाज़ुक है"
भगवान ने कहा हाँ यह बहुत ही नाज़ुक है, मगर मैने इसे बहुत ही स्ट्रांग बनाया है ।
इसमें हर परिस्थिति को संभालने की ताकत है।
देवदूत ने पूछा क्या यह सोच भी सकती है ??
भगवान ने कहा यह सोच भी सकती है और मजबूत हो कर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला, "भगवान ये तो गीले हैं , लगता है इसमें से लीकेज हो रहा है।"
भगवान बोले, "यह लीकेज नहीं है, यह इसके आँसू हैं।"
देवदूत: आँसू किस लिए ??
भगवान बोले : यह भी इसकी ताकत हैं । आँसू , इसको फरियाद करने , प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दूर करने का तरीका है।
देवदूत: भगवान आपकी रचना अद्भुत है । आपने सब कुछ सोच कर बनाया है, आप महान हैं।
भगवान बोले-
यह स्त्री रूपी रचना अद्भुत है । यही हर पुरुष की ताकत है , जो उसे प्रोत्साहित करती है। वह सभी को खुश देखकर खुश रहतीँ है। हर परिस्थिति में हंसती रहती है । उसे जो चाहिए वह लड़ कर भी ले सकती है। उसके प्यार में कोइ शर्त नहीं है (Her love is unconditional) । उसका दिल टूट जाता है जब अपने ही उसे धोखा दे देते हैं । मगर हर परिस्थिति से समझौता करना भी ये जानती है।
देवदूत: भगवान आपकी रचना संपूर्ण है।
भगवान बोले ना, अभी इसमें एक त्रुटि है।
"यह अपनी "महत्त्ता" भूल जाती है"
एक दिन अफसोस करने से
बेहतर है, सच को आज ही समझ लेना कि ज़िंदगी मुट्ठी में रेत की
तरह होती है। कब मुट्ठी से वो निकल जाएगी, पता भी नहीं चलेगा।/
भगवान ने जवाब दिया, "क्या तूने इसके सारे गुणधर्म (specifications) देखे हैं, जो इसकी रचना के लिए जरूरी हैं ?
१. यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है।
२. यह एक साथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है ।
३. यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टूटे हुये दिल के घाव भी भर सकती है ।
४. यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है।
५. इस में सबसे बड़ा "गुणधर्म" यह है कि बीमार होने पर भी अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।
देवदूत चकित रह गया और आश्चर्य से पूछा-
"भगवान ! क्या यह सब दो हाथों से कर पाना संभव है ?"
भगवान ने कहा यह स्टैंडर्ड रचना है।
(यह गुणधर्म सभी में है )
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा, "भगवान यह तो बहुत नाज़ुक है"
भगवान ने कहा हाँ यह बहुत ही नाज़ुक है, मगर मैने इसे बहुत ही स्ट्रांग बनाया है ।
इसमें हर परिस्थिति को संभालने की ताकत है।
देवदूत ने पूछा क्या यह सोच भी सकती है ??
भगवान ने कहा यह सोच भी सकती है और मजबूत हो कर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला, "भगवान ये तो गीले हैं , लगता है इसमें से लीकेज हो रहा है।"
भगवान बोले, "यह लीकेज नहीं है, यह इसके आँसू हैं।"
देवदूत: आँसू किस लिए ??
भगवान बोले : यह भी इसकी ताकत हैं । आँसू , इसको फरियाद करने , प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दूर करने का तरीका है।
देवदूत: भगवान आपकी रचना अद्भुत है । आपने सब कुछ सोच कर बनाया है, आप महान हैं।
भगवान बोले-
यह स्त्री रूपी रचना अद्भुत है । यही हर पुरुष की ताकत है , जो उसे प्रोत्साहित करती है। वह सभी को खुश देखकर खुश रहतीँ है। हर परिस्थिति में हंसती रहती है । उसे जो चाहिए वह लड़ कर भी ले सकती है। उसके प्यार में कोइ शर्त नहीं है (Her love is unconditional) । उसका दिल टूट जाता है जब अपने ही उसे धोखा दे देते हैं । मगर हर परिस्थिति से समझौता करना भी ये जानती है।
देवदूत: भगवान आपकी रचना संपूर्ण है।
भगवान बोले ना, अभी इसमें एक त्रुटि है।
"यह अपनी "महत्त्ता" भूल जाती है"
//#मेरी_प्यारी_पत्नी
कल मैं दुकान से जल्दी घर चला आया। आम तौर पर
रात में 10
बजे के बाद आता हूं, कल 8 बजे ही चला आया।
सोचा था घर जाकर थोड़ी देर पत्नी से बातें
करूंगा, फिर कहूंगा कि
कहीं बाहर खाना खाने चलते हैं। बहुत साल पहले, , हम ऐसा करते थे।
घर आया तो पत्नी टीवी देख रही थी। मुझे लगा कि
जब तक वो ये वाला सीरियल देख रही है, मैं कम्यूटर पर कुछ मेल चेक कर लूं। मैं मेल चेक करने लगा, कुछ देर बाद पत्नी चाय लेकर आई, तो मैं चाय पीता हुआ दुकान के काम करने
लगा।
अब मन में था कि पत्नी के साथ बैठ कर बातें
करूंगा, फिर खाना खाने
बाहर जाऊंगा, पर
कब 8 से 11 बज गए, पता ही नहीं चला।
पत्नी ने वहीं टेबल पर खाना लगा दिया, मैं चुपचाप खाना खाने लगा। खाना खाते
हुए मैंने कहा कि खा कर हम लोग नीचे टहलने चलेंगे, गप करेंगे। पत्नी खुश हो गई।
हम खाना खाते रहे, इस बीच मेरी पसंद का सीरियल आने लगा और
मैं खाते-खाते सीरियल में डूब गया। सीरियल देखते हुए सोफा पर ही मैं सो गया था।
जब नींद खुली तब आधी रात हो चुकी थी।
बहुत अफसोस हुआ। मन में सोच कर घर आया था कि
जल्दी आने का फायदा उठाते हुए आज कुछ समय पत्नी के साथ बिताऊंगा। पर यहां तो शाम
क्या आधी रात भी निकल गई।
ऐसा ही होता है, ज़िंदगी में। हम सोचते कुछ हैं, होता कुछ है। हम सोचते हैं कि एक दिन हम जी लेंगे, पर हम कभी नहीं जीते। हम सोचते हैं कि
एक दिन ये कर लेंगे, पर
नहीं कर पाते।
आधी रात को सोफे से उठा, हाथ मुंह धो कर बिस्तर पर आया तो पत्नी
सारा दिन के काम से थकी हुई सो गई थी। मैं चुपचाप बेडरूम में कुर्सी पर बैठ कर कुछ
सोच रहा था।
पच्चीस साल पहले इस लड़की से मैं पहली बार मिला
था। पीले रंग के शूट में मुझे मिली थी। फिर मैने इससे शादी की थी। मैंने वादा किया
था कि सुख में, दुख
में ज़िंदगी के हर मोड़ पर मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।
पर ये कैसा साथ? मैं सुबह जागता हूं अपने काम में व्यस्त हो जाता हूं। वो सुबह जागती
है मेरे लिए चाय बनाती है। चाय पीकर मैं कम्यूटर पर संसार से जुड़ जाता हूं, वो नाश्ते की तैयारी करती है। फिर हम
दोनों दुकान के काम में लग जाते हैं, मैं दुकान के लिए तैयार होता हूं, वो साथ में मेरे लंच का इंतज़ाम करती है। फिर हम दोनों भविष्य के काम
में लग जाते हैं।
मैं एकबार दुकान चला गया, तो इसी बात में अपनी शान समझता हूं कि
मेरे बिना मेरा दुकान का काम नहीं चलता, वो अपना काम करके डिनर की तैयारी करती है।
देर रात मैं घर आता हूं और खाना खाते हुए ही
निढाल हो जाता हूं। एक पूरा दिन खर्च हो जाता है, जीने की तैयारी में।
वो पंजाबी शूट वाली लड़की मुझ से कभी शिकायत
नहीं करती। क्यों नहीं करती मैं नहीं जानता। पर मुझे खुद से शिकायत है। आदमी जिससे
सबसे ज्यादा प्यार करता है, सबसे
कम उसी की परवाह करता है। क्यों?
कई दफा लगता है कि हम खुद के लिए अब काम नहीं
करते। हम किसी अज्ञात भय से लड़ने के लिए काम करते हैं। हम जीने के पीछे ज़िंदगी
बर्बाद करते हैं।
कल से मैं सोच रहा हूं, वो कौन सा दिन होगा जब हम जीना शुरू
करेंगे। क्या हम गाड़ी, टीवी, फोन, कम्यूटर, कपड़े
खरीदने के लिए जी रहे हैं?
मैं तो सोच ही रहा हूं, आप भी सोचिए
कि ज़िंदगी बहुत छोटी होती है। उसे यूं जाया मत
कीजिए। अपने प्यार को पहचानिए। उसके साथ समय बिताइए। जो अपने माँ बाप भाई बहन सागे
संबंधी सब को छोड़ आप से रिश्ता जोड़ आपके सुख-दुख में शामिल होने का वादा किया उसके
सुख-दुख को पूछिए तो सही।
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