नवग्रहों के वर्जित दान एवं कार्य
अक्सर अपने दैनिक जीवन में प्राय: हम एक कहावत
विभिन्न अर्थों में सुनते हैं कि "नेकी कर दरिया में डाल" या नेकी करो
और भूल जाओ. कभी-कभी अच्छे शब्दों में भी सुनते हैं, कि हम किसी के लिए कितना ही अच्छा क्यों न करें लेकिन बदले में हमेशा
बुराई ही हाथ लगती है.
एक व्यक्ति किसी गरीब को भोजन कराता है, तो खाने वाला बीमार पड जाता है. किसी
नें किसी को धन उधार दिया तो उसकी वसूली के समय देनदार नें कोई गलत कदम उठा लिया
और बेचारा लेनदार बिना वजह मुसीबत में फँस गया. किसी की मदद करने चले तो उल्टा
स्वयं ही अपने लिए मुसीबत मोल ले बैठे. अमूमन ऎसी सैकडों प्रकार की घटनायें आये
दिन किसी न किसी प्रकार से किसी न किसी के साथ घटती ही रहती हैं.
दरअसल यह सब निर्भर करता है हमारी जन्मकुँडली
में बैठे ग्रहों पर, जो
यह संकेत करते हैं कि किस वस्तु का दान या त्याग करना अथवा कौन से कार्य हमारे लिए
लाभदायक होगें और कौन सी चीजों के दान/त्याग अथवा कार्यों से हमें हानि का सामना
करना पडेगा. इसकी जानकारी निम्नानुसार है:----
जो ग्रह जन्मकुंडली में उच्च राशि या अपनी
स्वयं की राशि में स्थित हों, उनसे
सम्बन्धित वस्तुओं का दान व्यक्ति को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
सूर्य मेष राशि में होने पर उच्च तथा सिँह राशि
में होने पर अपनी स्वराशि का होता है. अत: आपकी जन्मकुंडली में उक्त किसी राशि में
हो तो:-
* लाल या गुलाबी रंग के पदार्थों का दान न करें.
* गुड, आटा, गेहूँ, ताँबा
आदि किसी को न दें.
* खानपान में नमक का सेवन कम करें. मीठे पदार्थों का अधिक सेवन करना
चाहिए.
चन्द्र वृष राशि में उच्च तथा कर्क
राशि में स्वगृही होता है. यदि आपकी जन्मकुंडली में ऎसी स्थिति में हो तो :-
* दूध, चावल, चाँदी, मोती
एवं अन्य जलीय पदार्थों का दान कभी नहीं करें.
* माता
अथवा मातातुल्य किसी स्त्री का कभी भूल से भी दिल न दुखायें अन्यथा मानसिक तनाव, अनिद्रा एवं किसी मिथ्या आरोप का भाजन
बनना पडेगा.
* किसी
नल, टयूबवेल, कुआँ, तालाब अथवा प्याऊ निर्माण में कभी आर्थिक रूप से सहयोग न करें.
मंगल मेष या वृश्चिक राशि में हो तो स्वराशि का
तथा मकर राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है. ऎसी स्थिति में:--
* मसूर की दाल, मिष्ठान अथवा अन्य किसी मीठे खाद्य
पदार्थ का दान नहीं करना चाहिए.
* घर आये किसी मेहमान को कभी सौंफ खाने को न दें अन्यथा वह व्यक्ति कभी
किसी अवसर पर आपके खिलाफ ही कडुवे वचनों का प्रयोग करेगा.
* किसी भी प्रकार का बासी भोजन( अधिक समय पूर्व पकाया हुआ) न तो स्वयं
खायें और न ही किसी अन्य को खाने के लिए दें.
बुध मिथुन राशि में तो स्वगृही तथा कन्या राशि
में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है. यदि आपकी जन्मपत्रिका में बुध उपरोक्त
वर्णित किसी स्थिति में है तो :--
* हरे
रंग के पदार्थ और वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए.
* साबुत
मूँग, पैन-पैन्सिल, पुस्तकें, मिट्टी का घडा, मशरूम आदि का दान न करें अन्यथा सदैव
रोजगार और धन सम्बन्धी समस्यायें बनी रहेंगी.
* न
तो घर में मछलियाँ पालें और न ही मछलियों को कभी दाना डालें.
बृहस्पति जब धनु या मीन राशि में हो तो स्वगृही
तथा कर्क राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है. ऎसी स्थिति में :--
* पीले
रंग के पदार्थों का दान वर्जित है.
* सोना, पीतल, केसर, धार्मिक
साहित्य या वस्तुएं आदि का दान नहीं करना चाहिए. अन्यथा "घर का जोगी जोगडा, आन गाँव का सिद्ध" जैसी हालात
होने लगेगी अर्थात मान-सम्मान में कमी रहेगी.
* घर
में कभी कोई लतादार पौधा न लगायें.
शुक्र जब जन्मपत्रिका में वृष या तुला राशि में
हो स्वराशि तथा मीन राशि में हो तो उच्च भाव का होता है. अत ऎसी स्थिति में:--
* ऎसे
व्यक्ति को श्वेत रंग के सुगन्धित पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यक्ति
के भौतिक सुखों में न्यूनता पैदा होने लगती है.
* नवीन
वस्त्र, फैशनेबल वस्तुएं, कास्मेटिक या अन्य सौन्दर्य वर्धक
सामग्री, सुगन्धित द्रव्य, दही, मिश्री, मक्खन, शुद्ध घी, इलायची आदि का दान न करें अन्यथा
अकस्मात हानि का सामना करना पडता है.
शनि यदि मकर या कुम्भ राशि में हो तो स्वगृही
होता है तथा तुलाराशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है. ऎसी दशा में :--
* काले रंग के पदार्थों का दान न करें.
* लोहा, लकडी और फर्नीचर, तेल
या तैलीय सामग्री, बिल्डिंग मैटीरियल आदि का दान/त्याग
न करें.
राहु यदि कन्या राशि में हो तो स्वराशि का तथा
वृष(ब्राह्मण/वैश्य लग्न में) एवं मिथुन(क्षत्रिय/शूद्र लग्न में) राशि में होने
पर उच्चता को प्राप्त होता है. ऎसी स्थिति में:--
* नीले, भूरे रंग के पदार्थों का दान नहीं
करना चाहिए.
* मोरपंख, नीले वस्त्र, कोयला, जौं
अथवा जौं से निर्मित पदार्थ आदि का दान किसी को न करें अन्यथा ऋण का भार चढने
लगेगा.
* अन्न का कभी भूल से भी अनादर न करें और न ही भोजन करने के पश्चात थाली
में झूठन छोडें.
केतु यदि मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा
वृश्चिक(ब्राह्मण/वैश्य लग्न में) एवं धनु (क्षत्रिय/शूद्र लग्न में) राशि में
होने पर उच्चता को प्राप्त होता है. यदि आपकी जन्मपत्रिका में केतु उपरोक्त स्थिति
में है तो :--
* घर में कभी पक्षी न पालें अन्यथा धन व्यर्थ के कामों में बर्बाद होता
रहेगा.
* भूरे, चित्र-विचित्र रंग के वस्त्र, कम्बल, तिल
या तिल से निर्मित पदार्थ आदि का दान नहीं करना चाहिए.
* नंगी आँखों से कभी सूर्य/चन्द्रग्रहण न देंखें अन्यथा नेत्र ज्योति मंद
पड जाएगी अथवा अन्य किसी प्रकार का नेत्र सम्बन्धी विकार उत्पन होने लगेगा.