लक्षण बताते हैं कौन सा ग्रह है आपसे नाराज, अभी पढ़ें….
ग्रहो के प्रभाव
ग्रह अच्छे या बुरे प्रभाव कुंडली में अपने स्थान के अनुसार देते हैं। यदि जीवन में कुछ परेशानियां हैं और उसका ज्योतिषीय समाधान चाहते हैं तो ये जानना बहुत जरूरी है कि आपकी परेशानी किस ग्रह के कारण है। जिससे उस ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय कर सकें। आइए जानते हैं ग्रह और उसके अशुभ प्रभावों के बारे में:
ग्रहो के प्रभाव
ग्रह अच्छे या बुरे प्रभाव कुंडली में अपने स्थान के अनुसार देते हैं। यदि जीवन में कुछ परेशानियां हैं और उसका ज्योतिषीय समाधान चाहते हैं तो ये जानना बहुत जरूरी है कि आपकी परेशानी किस ग्रह के कारण है। जिससे उस ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय कर सकें। आइए जानते हैं ग्रह और उसके अशुभ प्रभावों के बारे में:
सूर्य के अशुभ प्रभाव
अहंकार इतना अधिक होना कि स्वयं का नुकसान करते जाना, पिता के घर से अलग होना, कानूनी विवादों में फंसना और संपति विवाद होना, पत्नी से दूरी, अपने से बड़ों से विवाद, दांत, बाल, आंख व हृदय रोग होना। सरकार की ओर से नोटिस मिलना व सरकारी नौकरी में परेशानी आना भी सूर्य के दुष्प्रभाव हैं।
चंद्र के अशुभ प्रभाव
घर-परिवार के सुख और शांति की कमी,मानसिक रोगों का होना, बिना कारण ही भय व घबराहट की स्थिति बनी रहना, माता से दूरियां, सर्दी-जुखाम रहना, छाती सम्बंधित रोगों का बना रहना और कार्य तथा धन में अस्थिरता रहना।
मंगल के अशुभ प्रभाव
अत्यधिक क्रोध व चिड़चिड़पन मंगल के अशुभ प्रभावों में से एक है। भाइयों से मनमुटाव और आपसी विरोध मंगल के कारण ही होता है। रक्त में विकार होना और शरीर में खून की कमी मंगल के कमजोर होने की निशानी है। जमीन को लेकर तनाव व झगड़ा, आग में जलना और चोट लगते रहना, छोटी-छोटी दुर्घटनाओं का होता रहना मंगल के अशुभ प्रभावों के कारण ही होता है।
बुध के अशुभ प्रभाव
बोलने-सुनने में परेशानी, बुद्धि का कम इस्तेमाल, आत्मविश्वास की कमी, नपुंसकता, व्यापार में हानि, माता का विरोध और शिक्षा में बाधाएं बुध के अशुभ प्रभाव के कारण होता है। बुध यदि अशुभ हो अच्छे मित्र भी नहीं मिलते।
गुरु के अशुभ प्रभाव
जिनका सम्मान करना चाहिए उनसे ही अनबन हो, समाज के सामने बदनामी हो और मान-सम्मान न हो तो समझ लीजिए गुरू आपसे नाराज है। बड़े अधिकारियों से विवाद हाो धर्मिक ढोंग के साथ अधर्म के काम करना, अनैतिक कार्य करना, पाखंड से धन कमाना, स्त्रियों से अनैतिक संबंध बनाना, संतान दोष, मोटापा और सूजन गुरू के अशुभ प्रभाव हैं।
शुक्र के अशुभ प्रभाव
शुक्र यदि अशुभ प्रभाव दे तो यौन सुख को कम करता है। गुप्त रोग, विवाह में रूकावट, प्रेम में असफलता, हृदय का अत्यधिक चंचल हो जाना, प्रेम में धोखे की प्रवृतिशुक्र में अशुभ होने के लक्षण हैं।
शनि के अशुभ प्रभाव
अशुभ शनि जातक को झगडालूं, आलसी, दरिद्र, अधिक निद्रा वाला, वैराग्य से युक्तबनाता है। यह पांव में या नसों से रोग देता है। स्टोन की समस्या शनि के अशुभ होने पर ही होती है। लोगों से उपेक्षा, विवाह में समस्या और नपुंसकता शनि के ही अशुभ प्रभाव हैं।
क्या आपके जीवन में भी है शनि साड़े सती का दोष जानने के लिए क्लिक करे
राहु के अशुभ प्रभाव
नशा व मांस-मदिरा का लती, गलत कार्यों को करने का शौक, शेयर मार्केट से हानि होना, घर-गृहस्थी से दूर होकर अनैतिक कार्यो में जुड़ना, अपराधों में संलिप्त होना और फोड़े-फुंसी जैसे घृणित रोगों का होना राहु के अशुभ प्रभाव है।
केतु के अशुभ प्रभाव
इसके अशुभ प्रभाव राहू और मंगल का मिलाजुला रूप होता है। अत्यधिक क्रोधी, शरीर में अधिक अम्लता होना जिस कारण पेट में जलन का रहना, चेहरे पर दाग धब्बे का होना केतु के अशुभ प्रभाव हैं। केतु जब रूष्ट हो तो व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के ऑपरेशन से गुजरता है।
अहंकार इतना अधिक होना कि स्वयं का नुकसान करते जाना, पिता के घर से अलग होना, कानूनी विवादों में फंसना और संपति विवाद होना, पत्नी से दूरी, अपने से बड़ों से विवाद, दांत, बाल, आंख व हृदय रोग होना। सरकार की ओर से नोटिस मिलना व सरकारी नौकरी में परेशानी आना भी सूर्य के दुष्प्रभाव हैं।
चंद्र के अशुभ प्रभाव
घर-परिवार के सुख और शांति की कमी,मानसिक रोगों का होना, बिना कारण ही भय व घबराहट की स्थिति बनी रहना, माता से दूरियां, सर्दी-जुखाम रहना, छाती सम्बंधित रोगों का बना रहना और कार्य तथा धन में अस्थिरता रहना।
मंगल के अशुभ प्रभाव
अत्यधिक क्रोध व चिड़चिड़पन मंगल के अशुभ प्रभावों में से एक है। भाइयों से मनमुटाव और आपसी विरोध मंगल के कारण ही होता है। रक्त में विकार होना और शरीर में खून की कमी मंगल के कमजोर होने की निशानी है। जमीन को लेकर तनाव व झगड़ा, आग में जलना और चोट लगते रहना, छोटी-छोटी दुर्घटनाओं का होता रहना मंगल के अशुभ प्रभावों के कारण ही होता है।
बुध के अशुभ प्रभाव
बोलने-सुनने में परेशानी, बुद्धि का कम इस्तेमाल, आत्मविश्वास की कमी, नपुंसकता, व्यापार में हानि, माता का विरोध और शिक्षा में बाधाएं बुध के अशुभ प्रभाव के कारण होता है। बुध यदि अशुभ हो अच्छे मित्र भी नहीं मिलते।
गुरु के अशुभ प्रभाव
जिनका सम्मान करना चाहिए उनसे ही अनबन हो, समाज के सामने बदनामी हो और मान-सम्मान न हो तो समझ लीजिए गुरू आपसे नाराज है। बड़े अधिकारियों से विवाद हाो धर्मिक ढोंग के साथ अधर्म के काम करना, अनैतिक कार्य करना, पाखंड से धन कमाना, स्त्रियों से अनैतिक संबंध बनाना, संतान दोष, मोटापा और सूजन गुरू के अशुभ प्रभाव हैं।
शुक्र के अशुभ प्रभाव
शुक्र यदि अशुभ प्रभाव दे तो यौन सुख को कम करता है। गुप्त रोग, विवाह में रूकावट, प्रेम में असफलता, हृदय का अत्यधिक चंचल हो जाना, प्रेम में धोखे की प्रवृतिशुक्र में अशुभ होने के लक्षण हैं।
शनि के अशुभ प्रभाव
अशुभ शनि जातक को झगडालूं, आलसी, दरिद्र, अधिक निद्रा वाला, वैराग्य से युक्तबनाता है। यह पांव में या नसों से रोग देता है। स्टोन की समस्या शनि के अशुभ होने पर ही होती है। लोगों से उपेक्षा, विवाह में समस्या और नपुंसकता शनि के ही अशुभ प्रभाव हैं।
क्या आपके जीवन में भी है शनि साड़े सती का दोष जानने के लिए क्लिक करे
राहु के अशुभ प्रभाव
नशा व मांस-मदिरा का लती, गलत कार्यों को करने का शौक, शेयर मार्केट से हानि होना, घर-गृहस्थी से दूर होकर अनैतिक कार्यो में जुड़ना, अपराधों में संलिप्त होना और फोड़े-फुंसी जैसे घृणित रोगों का होना राहु के अशुभ प्रभाव है।
केतु के अशुभ प्रभाव
इसके अशुभ प्रभाव राहू और मंगल का मिलाजुला रूप होता है। अत्यधिक क्रोधी, शरीर में अधिक अम्लता होना जिस कारण पेट में जलन का रहना, चेहरे पर दाग धब्बे का होना केतु के अशुभ प्रभाव हैं। केतु जब रूष्ट हो तो व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के ऑपरेशन से गुजरता है।
.ma.durga.ko.sidhi.cahiya.to.kayakarya.ashi.sadhna.ki.ma.durga.ko.ham.jab.bulaya.tab.ajya.asha.mantra.taki.apna.bhe.bala.karya.dusryaka
जवाब देंहटाएं