पौराणिक साहित्य में यंत्र तंत्र का उल्लेख यत्र तत्र मिलता ही रहता है कि देवता यक्ष किन्नर दानव मानव आदि सभी यंत्र तंत्रों का प्रयोग करते थे और उनकी महिमा से लाभान्वित होते रहते थे इस यंत्र तंत्र विद्या के अधिपति देवता भगवान दत्तात्रेय या ब्रम्हा जी है !
मानव कल्याण के लिए कई सार्थक यंत्रो की खोज की ! जिनकी पूजा प्रतिष्ठा आज भी पुष्कर राज में होती है ! भगवान दत्तात्रेय द्वरा रचित इंद्रजाल नामक ग्रन्थ से यहाँकुछ लोकोपयोगी यंत्रो का वर्णन किया जाता है !प्राचीन काल से ही यंत्र तंत्र मन्त्र के माध्यमसे मानव जीवन के उत्थान मे पूर्ण सहयोग रहा है !
सात्विक यंत्रो का प्रभाव चिर स्थाई होता है भारत के विभिन्न स्थलों में उत्तम साधना पूर्वक स्थापित किये गए यंत्रो का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है !उदाहरनार्थ-जगन्नाथ मंदिर का भैरवी यंत्र ,श्री नाथ जी का सुदर्शन यंत्र चक्र ,तिरुपति बाला जी ,अन्नपूर्णा [वाराणसी /तिर्वा ]में श्री यंत्र आदि का प्रभाव सर्व विदित है !वहुत से साधको ने यंत्रो द्वारा ऐसे प्रभाव दिखाए है जो वैज्ञानिक यंत्रो द्वारा कदापि संभव नहीं होगा !
मानव कल्याण के लिए कई सार्थक यंत्रो की खोज की ! जिनकी पूजा प्रतिष्ठा आज भी पुष्कर राज में होती है ! भगवान दत्तात्रेय द्वरा रचित इंद्रजाल नामक ग्रन्थ से यहाँकुछ लोकोपयोगी यंत्रो का वर्णन किया जाता है !प्राचीन काल से ही यंत्र तंत्र मन्त्र के माध्यमसे मानव जीवन के उत्थान मे पूर्ण सहयोग रहा है !
- श्री यंत्र श्री दुर्गा वीसा यंत्र श्री कनकधारा यंत्र श्री गणेश / कुवेर/ मंगल /व नवग्रह यंत्र आदि है !
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